सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने 22 जनवरी को जस्टिस जोसेफ और मल्होत्रा की नियुक्ति की सिफारिश की थी। फरवरी के पहले हफ्ते में दोबारा सिफारिश मिलने के बाद कानून मंत्रालय ने दोनों की नियुक्ति को रोक दिया था क्योंकि वह केवल मल्होत्रा के नाम को स्वीकृति देना चाहता था। सूत्रों का कहना है कि अप्रैल के पहले हफ्ते में केंद्र सरकार ने इंदु मल्होत्रा की फाइल खुफिया ब्यूरो (आईबी) के पास भेजी थी। वहां से हरी झंडी मिलने पर केंद्र ने उनकी नियुक्ति को हरी झंडी दे दी है।
सूत्रों के मुताबिक जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश पर सरकार को लग रहा है कि कोलेजियम ने वरिष्ठता और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को नजरअंदाज किया है। जस्टिस जोसेफ हाईकोर्ट के 669 जजों की वरिष्ठता सूची में 42वें नंबर पर हैं। दरअसल जस्टिस जोसेफ ने अप्रैल 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था। इससे पहले कानूनी विशेषज्ञों ने एक नाम को मंजूरी देने और दूसरे को रोके रखने की सरकार की मंशा के खिलाफ अपनी राय दी थी।
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