नई दिल्ली: रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन से जारी बैठक के निष्कर्षों पर पेट्रोलियम उत्पादों में तेजी का असर पड़ सकता है. एमपीसी की बैठक चार जून से जारी है और आज इस चर्चा का समापन होगा. रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा था, ‘‘एमपीसी की 2018-19 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के लिये 4-6 जून को बैठक होगी. एमपीसी के निर्णय को छह जून 2018 को दोपहर 2.30 मिनट पर वेबसाइट पर डाला जाएगा.’’
बता दें कि यह पहला मौका है जब प्रशासनिक जरूरतों के कारण मौद्रिक नीति समिति की बैठक तीन दिन चली. सामान्य स्थिति में समिति मौद्रिक नीति की घोषणा से पहले दो महीने में दो दिन के लिये बैठक होती थी.
मौद्रिक नीति समीक्षा में खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर किया गया है जो अप्रैल में चार महीने के उच्च स्तर 3.18 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी. माना जा रहा है कि मुख्य रूप से पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से महंगाई दर बढ़ी है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में वृद्धि के कारण घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल के दाम चढ़े थे जो अब पिछले सात दिनों से कम होते चले आ रहे हैं. पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतें मुद्रास्फीति में वृद्धि भी हुई थी.
एक विदेशी ब्रोकरेज एजेंसी ने यह कहा है कि कच्चे तेल के दाम बढ़ने का देश में मुद्रास्फीति की दर पर असर पड़ सकता है और इससे रिजर्व बैंक को अगस्त में होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करने पर मजबूर होना पड़ सकता है.
बता दें कि हाल के समय में कच्चे तेल के मूल्यों में तेजी आई है. चालू खाते का घाटा बढ़ा है और रुपये में भारी गिरावट आई है. बता दें कि बैंक ने 21 मार्च को 2018-19 के लिए द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक का कार्यक्रम जारी किया था. रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता में छह सदस्यीय एमपीसी नीतिगत दरें निर्धारण करती है.
उल्लेखनीय है कि पहली मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक 4-5 अप्रैल को हुई थी और मुद्रास्फीति की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए ब्याज दरों पर यथास्थिति बनाए रखने का फैसला किया गया था.