पौष माह की अखुरथ संकष्टी चतुर्थी बुधवार 18 दिसंबर को मनाई जा रही है। इस दिन व्रत करने का काफी महत्व माना गया है। बुधवार के दिन पड़ने के कारण इसे और भी लाभकारी माना जा रहा है। ऐसे में इस दिन पूजा के दौरान गणेश जी की आरती व मंत्रों का पाठ भी जरूर करें क्योंकि बिना आरती के पूजा-पाठ का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता।
हिंदू धर्म में भगवान गणेश, ज्ञान के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। पंचांग के अनुसार, हर माह में कृष्ण पक्ष पर आने वाली चतुर्थी तिथि भगवान गणेश के लिए समर्पित मानी जाती है, जिसपर संकष्टी चतुर्थी (Akhurath Sankashti Chaturthi 2024) का व्रत किया जाता है। ऐसे में संकष्टी चतुर्थी की पूजा के दौरान गणेश जी की आरती व मंत्रों का जप जरूर करना चाहिए, ताकि आपको व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।
गणेश जी की आरती (Ganesh ji ki aarti)
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
भगवान शिव के पुत्र गणेश जी की पूजा सभी देवताओं में सबसे पहले की जाती है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उनकी आराधन से सभी कार्य बिना बाधा के पूरे होते हैं। वहीं हर माह में आने वाली संकष्टी चतुर्थी का दिन गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए उत्तम है।
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
करें इन मंत्रों का जप (Ganpati Mantra)
ॐ गं गणपतये नमः
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये।
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥
गणेश गायत्री मंत्र –
ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि,
तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
ऋणहर्ता गणपति मंत्र –
ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥
गणेश अष्टाक्षर मंत्र –
ॐ गं गणपतये नमः॥