राजस्थान में एक बार फिर गुर्जर आरक्षण का जिन्न बाहर आ गया। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने ढाई साल बाद एक बार फिर भरतपुर के बयाना के अड्डा गांव में महापंचायत बुलाई है। समिति के नेताओं का कहना है कि महापंचायत में गुर्जर बहुल 80 गांव के लोगों को बुलाया गया है। इसमें करीब 20 हजार लोग शामिल होंगे। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुर्जर संघर्ष समिति के सदस्यों से बातचीत के लिए वरिष्ठ आईएएस अफसरों के अलावा भरतपुर और करौली कलेक्टर को मौके पर भेज दिया है।
इस महापंचायत के मद्देनजर 16 अक्तूबर की मध्यरात्रि से 17 अक्तूबर की आधी रात तक राजस्थान के बयाना, वीर, भुसावर और भरतपुर जिला के रूपवास में 2जी, 3जी और 4जी डेटा इंटरनेट, व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर एवं अन्य सोशल मीडिया (वॉयस कॉल को छोड़कर) की सेवाएं ठप्प रहेंगी। लगभग 2500 सुरक्षाबलों को पूरे इलाके में तैनात किया गया है।
प्रशासन ने महापंचायत बुलाने के लिए कुछ शर्तें भी रखी हैं। पहली शर्त यह है कि गुर्जर समाज को इसके लिए जिला कलेक्टर को एक उपक्रम सौंपना होगा और दूसरी शर्त यह है कि इस महापंचायत में 100 से अधिक लोगों को अनुमति नहीं दी जाएगी। राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले के बाद गुर्जर समाज ने शनिवार से महापंचायत बुलाने का फैसला किया है।
दरअसल, बीते 14 साल से राजस्थान में गुर्जर आरक्षण को लेकर आंदोलनरत हैं। छह बार बड़े स्तर पर आंदोलन कर चुके हैं। अब तक 72 लोग मारे जा चुके हैं। अभी भी गुर्जरों के मुताबिक उनकी मांग पूरी नहीं हुई। ऐसे में अब वर्ष 2020 में गुर्जर सातवीं आंदोलन की राह पर हैं।
बीते दिनों गुर्जरों में बैठक करके राजस्थान सरकार को 17 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम दिया था। 17 अक्टूबर को सवाई माधोपुर के मलारना डूंगर में गुर्जरों की महापंचायत की घोषणा की गई थी। हाल ही में गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने पत्रकार वार्ता कर मलारना डूंगर की बजाय पीलूपुरा में महापंचायत किए जाने की जानकारी दी थी।
इस बार गुर्जर आंदोलनकारियों की प्रमुख मांग केंद्र की भाजपा सरकार से है कि जो आरक्षण व्यवस्था राजस्थान में की गई है, उसे केंद्र की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। जिससे अदालत में इस पर कोई विपरीत फैसला न आए। बैकलॉग की भर्तियां निकालकर उसमें नियमानुसार पांच प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। आंदोलन के दौरान शहीद हुए लोगों को नौकरी और मुआवजा दिया जाए।