जब जालसाजों ने चेक क्लोनिंग से ग्राहकों को चपत लगाया हो। इसमें जालसाज बैंक के किसी कर्मचारी या अधिकारी से मिलकर इस तरह की घटना को अंजाम देते हैं। इस काम को अंजाम देने में चेक का इस्तेमाल किया जाता है। चेक क्लोनिंग की घटना में शामिल रहे बैंक के अधिकारी या कर्मचारी व्यक्ति के खाते की जानकारी उसके हस्ताक्षर और खाली चेक मुहैया करा सकते हैं।
इसके बाद जालसाज एक फर्जी एप्लीकेशन डालकर खाताधारक का मोबाइल नंबर खाते से हटवा देते हैं ताकि ट्रांजेक्शन का मैसेज उक्त व्यक्ति तक न पहुंचें। ऐसे जालसाज खाताधारक के चेक का फोटो लेकर उसका क्लोन कर फिर फर्जी हस्ताक्षर कर खाते से रकम निकाल लेते हैं। जालसाज ऐसे खाते को टारगेट करते हैं जिनमें ज्यादा पैसा होता है। ये लोग बैंक खाते से खाताधारक का मोबाइल नंबर हटवा देते हैं।
कैसे देते हैं घटना को अंजाम
जालसाज लैपटॉप में स्कैन करने के बाद नए नंबर डाल चेकों पर खाता नंबर, नाम और चेक नंबर प्रिंट कर लेते हैं। इसके बाद बेयरर चेक बनाकर बैंकों से खाते में भुगतान लिया जाता है। जिन खातों में मोबाइल नंबर दर्ज होता है, उनके चेक 50 हजार से नीचे के होते हैं, ताकि असली खातेदार के मोबाइल पर वेरिफिकेशन मेसेज न जाए।
कैसे बचें
किसी अंजान आदमी के साथ इंटरनेट बैंकिंग पर लेनदेन न करें और इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करते समय बहुत ही सावधानी बरतें। इसके अलावा इंटरनेट बैंकिंग पर यूजर आईडी और पासवर्ड किसी से शेयर न करें। बीच बीच में इंटरनेट बैंकिंग का पासवर्ड बदलते रहें। अपना चेक, चाहे वह केंसिल हो, किसी को न दें और बैंक से आने वाले हर मैसेज को ध्यान से पढ़ना चाहिए।