New Delhi : आतंकियों को बचाने आए पत्थबाजों को सेना ने कड़ा सबक सिखाया है। सेना ने पत्थरबाजों पर लाठीचार्ज कर उन्हें खदेड़ दिया। इस लाठीचार्ज में कई पत्थबरबाजों को गंभीर चोटें आई हैं।
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इससे पहले पत्थरबाजों ने सेना के मेजर पर हमला किया है। सेना ने बताया कि अनंतनाग में सेना के मेजर डीके राजा के काफिले पर पत्थरबाजों ने हमला किया है। हमले में कई जवान घायल हुए हैं।
बता दें कि सेना पिछले तीन दिनों से घाटी में आतंकियों को ढूंढ-ढूंढ कर मार रही है जिसके विरोध में पत्थरबाज सेना पर हमला कर रहे हैं। बता दें कि इस साल अभी तक 106 आतंकी मारे जा चुके हैं, सीमा पार से घुसपैठ की हर छह कोशिशों में से पांच नाकाम हो रही हैं और पत्थरबाजी की घटनाएं पिछले साल की तुलना में आधी रह गई हैं।
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सबसे अहम बात यह है कि आतंकी गतिविधियों के बारे में एजेंसियों को लगातार सूचना मिल रही है और आपरेशन में स्थानीय पुलिस आगे बढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। वहीं आतंकी फंडिंग में फंसे अलगाववादी नेता अपनी साख बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद स्थानीय स्तर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखी जो साफ संकेत है कि उनकी जड़ें कमजोर हो चुकी हैं।
दरअसल कश्मीर में स्थायी शांति बहाली के लिए तीन स्तरों पर एक साथ काम शुरू किया गया। एक ओर सेना और बीएसएफ को सीमा सील करने की जिम्मेदारी सौंपी गई, ताकि आतंकी घुसपैठ की घटनाओं को रोका जा सके।
वहीं एनआइए और ईडी जैसी जांच एजेंसियों को आतंकी फंडिंग के तरीकों का पता लगाकर उन्हें पूरी तरह बंद करने को कहा गया। घाटी में पहले से छुपे बैठे आतंकियों का पता लगाने की जिम्मेदारी जम्मू-कश्मीर पुलिस को सौंपी गई, ताकि उन्हें खत्म किया जा सके।
इस बार छोटे आतंकियों के बजाय सुरक्षा एजेंसियों ने बड़े आतंकियों को निशाना बनाने का फैसला किया और सभी एजेंसियों को आपसी तालमेल से काम करने का निर्देश दिया गया।
खास बात यह है कि एजेंसियों को तीनों ही मोर्चे पर शानदार सफलता मिल रही है। एनआइए और ईडी जहां अलगाववादियों के घर में घुसकर आतंकी फंडिंग का सबूत जुटा रही है और इसके आरोप में एसएआर गिलानी के दामाद समेत कई हुर्रियत नेताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है। इससे फंडिंग के सहारे चलने वाली पत्थरबाजी की दुकान भी मंद पड़ गई है।
दूसरी ओर सीमा पार से आतंकी घुसपैठ की घटनाओं में 83 फीसदी तक कमी आई है। पहली बार आतंकी घुसपैठ को बढ़ावा देने वाले पाक सेना की चौकियों को भी उड़ाने में भारतीय सेना ने देरी नहीं लगाई है।
वहीं घाटी में मौजूद आतंकियों का पता लगाकर उन्हें मार गिराने में सबसे अहम भूमिका जम्मू-कश्मीर पुलिस निभा रही है। पिछले एक साल के दौरान अधिकांश आतंकी मुठभेड़ में खुफिया जानकारी जुटाने से लेकर मुठभेड़ तक में स्थानीय पुलिस ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। इसकी शुरुआत बुरहान वानी के मुठभेड़ से हुई थी।
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