आतंकियों के हमदर्दों की कहानी हुई खत्म NIA ने खोला कल्ला-चितठा

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कश्मीर में आतंकियों की मदद करने वालों के खिलाफ एक बड़ा ऑपरेशन शुरू किया है। इसके लिए कई महीनों से होमवर्क चल रहा था। जांच एजेंसी ने हर तरह की पुख्ता जानकारी इकट्ठा करने के बाद ही कश्मीर से जुड़े संगठनों पर हाथ डाला है। एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि यह ऑपरेशन कश्मीर घाटी में आतंकियों के हमदर्द बने लोगों की कहानी खत्म कर देगा। पाकिस्तान के गुर्गे, जो घाटी में रहकर आतंकियों की कथित मदद कर रहे थे, अब वे सभी बेनकाब हो जाएंगे।

आतंकियों के ग्राउंड वर्कर बने लोगों में कश्मीर के अलगाववादी ही नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों के भी कई बड़े नाम शामिल हैं। मामले की जांच रिपोर्ट में कई सफेदपोश भी बेनकाब हो जाएंगे। विभिन्न जगहों पर चल रहे सर्च अभियान में अहम सबूत जांच एजेंसी के हाथ लगे हैं। इनमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, पेन ड्राइव, बैंक के लेनदेन की डिटेल, विदेशी फंडिंग, संगठन के नाम का दुरुपयोग, प्रॉपर्टी की जानकारी और शैल कंपनियों के कागजात आदि शामिल हैं।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गुरुवार को टेरर फंडिंग केस में कई जगहों पर छापेमारी की है। दिल्ली और श्रीनगर में एनजीओ कार्यालय एवं रिहायशी ठिकानों पर भी सर्च अभियान शुरू किया गया है। हालांकि जांच एजेंसी कई दिनों से इस अभियान में लगी है। इससे पहले श्रीनगर और उसके आसपास के इलाकों में छापेमारी की गई थी। दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व प्रमुख जफरुल-इस्लाम खान का घर और दफ्तर भी एनआईए के रडार पर आ गया है। इन दोनों जगहों पर जांच एजेंसी ने दस्तक दी है।

फलह-ए-आम ट्रस्ट, चैरिटी अलायंस, ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन, जेके यतीम फाउंडेशन, साल्वेशन मूवमेंट और जेके वॉइस ऑफ विक्टिम्स के कार्यालयों में सर्च अभियान चलाया गया है। चैरिटी अलायंस और ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन का दफ्तर दिल्ली में स्थित है। बाकी संगठनों के कार्यालय जम्मू-कश्मीर में हैं। जफरुल-इस्लाम खान चैरिटी अलायंस के अध्यक्ष हैं और साथ ही वे मिली गजट अखबार के संस्थापक और संपादक का कामकाज भी देखते हैं।

जांच एजेंसी ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर कोएलेशन ऑफ सिविल सोसायटी के संयोजक खुर्रम परवेज, उनके सहयोगी परवेज अहमद बुखारी, परवेज अहमद मट्टा और स्वाति शेषाद्रि के घरों एवं कार्यालय परिसरों में छापेमारी की थी। एसोसिएशन ऑफ पेरेंट्स डिसअपीयर्ड पर्सन की अध्यक्ष परवीना अहंगर के यहां भी एनआईए की टीम पहुंची थी।

जांच एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि इस बार के ऑपरेशन में कोई नहीं बचेगा। यह सर्च कोई दो-तीन दिन से नहीं चल रही। जब किसी व्यक्ति की संदिग्ध गतिविधियों की पुख्ता जानकारी मिलती है, एजेंसी वहां तुरंत छापा मार देती है। विदेशी फंडिंग को लेकर प्रवर्तन निदेशालय भी अपने स्तर पर कार्रवाई कर रहा है। इससे पहले भी घाटी के कई बड़े चेहरे बेनकाब किए गए हैं। उनकी कश्मीर, दिल्ली और गुरुग्राम स्थित प्रॉपर्टी सीज की गई हैं।

एजेंसी के पास ऐसे संगठनों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं, जो घाटी में रह कर आतंकियों की मदद कर रहे हैं। इनके खातों में विदेश से पैसा भी आया है। विदेशी फंडिंग की राह तैयार करने में केवल अलगाववादी या स्थानीय नेता ही शामिल नहीं हैं, बल्कि दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास भी इसमें संलिप्त है। इस बार जो चार्जशीट तैयार होगी, उसमें कश्मीर से जुड़े कई सफेदपोश भी रहेंगे। इन लोगों ने कई तरीकों से आतंकियों को मदद पहुंचाई है। इनमें आर्थिक सहायता के अलावा पनाह देना और ट्रांसपोर्ट का इंतजाम करना भी, शामिल है।

सूत्रों के अनुसार, कश्मीर घाटी के बच्चों को एक विशेष प्रयोजन के तहत पाकिस्तान के कालेज या विश्वविद्यालयों में भेजा गया है। इनमें से कई युवाओं की संदिग्ध गतिविधियां नोट की गई हैं। युवाओं को पाकिस्तान भेजने के लिए किस संगठन ने कितनी राशि खर्च की है, अब यह सब पता चल जाएगा।

एनआईए की छापेमारी के बाद जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने एनआईए को भाजपा की पालतू एजेंसी बता दिया। अपने एक ट्वीट में कहा, यह एजेंसी उन लोगों को डराने और धमकाने के लिए भाजपा की पालतू एजेंसी बन गई है, जो लाइन में लगने से इंकार करते हैं। एनआईए की टीम ने जब मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज के कार्यालय पर छापामारी की तो उसके बाद महबूबा ने भाजपा पर हमला बोल दिया था। उन्होंने कहा, ये अभिव्यक्ति की आजादी और असंतोष पर भारत सरकार की दोषपूर्ण कार्रवाई का एक और उदाहरण है। बुधवार के छापों के बाद केंद्रीय में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा था, कोई भी ऐसा व्यक्ति कानून से नहीं बच सकता है, जो फंड का दुरुपयोग कर रहा हो और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल में हो। ऐसे लोगों में कोई भी संगठन, अखबार या मानवाधिकार संस्था शामिल हो सकती है।

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