छठ पर्व 20 नवंबर को मनाया जाएगा। इस पर्व की शुरूआत नहाय-खाय के साथ 18 नवंबर से हो गई है। छठ सूर्य उपासना और छठी माता की उपासना का पर्व है।
हिन्दू आस्था का यह एक ऐसा पर्व है जिसमें मूर्ति पूजा शामिल नहीं है। इस पूजा में छठी मईया के लिए व्रत किया जाता है। यह व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इसलिए छठ पूजा के दौरान कई बातों का ध्यान रखा जाता है।
छठी मईया का प्रसाद बनाते समय पूरी पवित्रता का ध्यान रखें। हाथ पैर धोकर प्रसाद तैयार करें। इस दौरान कभी भी मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए। छठ पूजा में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को तैयार करने वाले को तब तक कुछ नहीं खाना चाहिए जब तक की प्रसाद तैयार न हो जाए।
छठी माई के प्रसाद को पैर नहीं लगाना चाहिए और सूर्य को अर्घ्य देते समय चांदी, स्टील, शीशा व प्लास्टिक के बने बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। छठी माता की मनौती को नहीं भूलना चाहिए। जो मनौती हो उसे समय पर पूरा कर लेना चाहिए।
छठ का प्रसाद जहां बन रहा हो वहां भोजन नहीं करना चाहिए। इससे पूजा अशुद्ध मानी जाती है। छठ का व्रत करने वाले को कभी भी किसी को बुरा भला नहीं कहना चाहिए। ऐसा करने से व्रत का वास्तविक लाभ व्रती को नहीं मिलता है।