आज यूपी राज्यसभा चुनाव में दिख सकती है गुजरात जैसी नाटकीयता

आज यूपी राज्यसभा चुनाव में दिख सकती है गुजरात जैसी नाटकीयता

यूपी में आज होने वाला राज्यसभा चुनाव गुजरात में पिछले साल अगस्त में होने वाले राज्यसभा चुनाव जैसा ही नाटकीय और सनसनीखेज हो सकता है.आज यूपी राज्यसभा चुनाव में दिख सकती है गुजरात जैसी नाटकीयता

गौरतलब है कि गुजरात के राज्यसभा चुनाव में शह-मात का जबर्दस्त खेला चला था जिसमें सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल बड़ी मुश्किल से जीत पाए थे. यूपी में भी आज इसी तरह का खेल दिख सकता है, क्योंकि बीजेपी ने पर्याप्त वोट न होने के बावजूद एक अतिरिक्त यानी नौवां कैंडिडेट खड़ा कर दिया है.

यूपी की 10 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव है और हर कैंडिडेट को जीत के लिए कम से कम 37 वोट चाहिए. राज्य की 403 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी-एनडीए के पास 324 विधायक हैं (उन्हें कुल 325 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन नूरपुर के विधायक का निधन हो चुका है.) तो बीजेपी के आठ सदस्य तो आराम से चुन लिए जाएंगे और उसके बाद भी उसके पास 28 वोट बच रहे हैं.

बीजेपी इसके भरोसे ही एनडीए का नौवां कैंडिडेट चुनना चाहती है. लेकिन उसके लिए उसे दूसरे दलों के नौ विधायकों के वोट चाहिए. इन वोटों की तलाश में ही खेल दिचलस्प हो गया है. ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी को अपने सहयोगियों सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के चार विधायकों और अपना दल के नौ विधायकों के पूरे वोट मिलेंगे.

अपने 47 विधायकों के साथ सपा का सिर्फ एक सदस्य आराम से जीत पाएगा और उसके बाद उसके पास 10 वोट बचेंगे. सपा ने अपनी तरफ से जया बच्चन को खड़ा किया है. सपा ने अपने बाकी 10 वोट बसपा को को देने का वचन दिया है. बसपा के पास‍ सिर्फ 19 विधायक हैं. इसलिए बीएसपी को अपने कैंडिडेट भीमराव अम्बेडकर को जिताने के लिए 18 अतिरिक्त वोट चाहिए. खेल यहीं दिलचस्प हो गया है. मायावती को कांग्रेस के सात वोट और आरएलडी के एक वोट मिलने का भरोसा है.

गुजरात में हुआ था जबर्दस्त खेल 

गुजरात की तीन राज्यसभा सीटों में से दो सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. बीजेपी की तरफ से अमित शाह और स्मृति ईरानी राज्यसभा सांसद चुने गए. लेकिन तीसरे सीट पर कांग्रेस के अहमद पटेल को हराने के लिए बीजेपी ने पूरी जान लगा दी थी. हालांकि अहमद पटेल तने में कामयाब रहे. मतदान के बाद कांग्रेस ने अपनी पार्टी के दो विधायकों का वोट सस्पेंड करने की मांग की. कांग्रेस का आरोप था कि उन दोनों ने भाजपा को वोट देने के बाद बैलेट पेपर दिखा दिया था. इस शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने कांग्रेस की मांग को सही मानते हुए दोनो क्रॉस वोटिंग वाले वोट को गिनती से बाहर कर दिया, जिसका फायदा अहमद पटेल को मिला और वो चुनाव जीतने में कामयाब हो गए.

एक वोट की कीमत

 क्रॉस वोटिंग सपा-बसपा की राह का रोड़ा बन सकता है. एक वोट भी इधर-उधर हुआ तो जया बच्चन या अम्बेडकर का चुना जाना खटाई में पड़ सकता है. सपा के पूर्व नेता नरेश अग्रवाल अब बीजेपी में जा चुके हैं और उनका सपा विधायक बेटा नितिन अग्रवाल अब बीजेपी के लिए वोट कर सकता है.

इस डर को देखते हुए ही मायावती ने अखिलेश से कहा था कि वह 10 खांटी और विश्वस्त सपाई विधायकों को बसपा कैंडिडेट को वोट देने के लिए तय कर दें. लेकिन ऐसा हुआ तो जया बच्चन की सीट को खतरा हो सकता है.

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