केंद्र सरकार आज देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) और उनके कार्यों के चार्टर की घोषणा कर सकती है। ऐसी चर्चा है कि सेनाध्यक्ष बिपिन रावत को इसकी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
साल 2012 में गठित नरेश चंद्र समिति ने बीच का रास्ता निकालते हुए चीफ ऑफ स्टाफ समिति (सीओएससी) के स्थायी अध्यक्ष की सिफारिश की थी। वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत सीओएससी के अध्यक्ष की नियुक्ति की जाती है मगर इसके परिणाम आशा के अनुसार नहीं रहे हैं। सेना में सुधार के लिए गठित डीबी शेतकर समिति ने दिसंबर 2016 में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। जिसमें 99 सिफारिशों सहित सीडीएस की नियुक्ति के मुद्दे को उठाया गया था।अभी क्या है व्ववस्था
भारत सरकार ने तीनों सेनाओं में सबसे वरिष्ठ जनरल को चीफ आफ आर्मी स्टाफ की मंजूरी दी है। तालमेल के बाबत ट्राई सर्विसेज कमान की व्यवस्था है। तीनों सेनाओं की संयुक्त कमांडर कांफ्रेंस होती है और सुरक्षा मामलों की कैबिनेट में तीनों सेनाओं के प्रमुख होते हैं। इसके अलावा तालमेल, संयुक्त आपरेशन को बढ़ावा देने के लिए अनेक उपाय किए गए है।
19 साल तक सीडीएस के गठन पर सरकार ने किया संकोच
तीनों सेनाओं ने लगातार सीडीएस के गठन की मांग की है। रक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति ने भी कारगिल सीक्षा समिति की सिफारिश को मजबूती से उठाया, लेकिन केन्द्र सरकार सीडीएस के गठन से परहेज करती रही। करीब 19 साल तक यह सिफारिश ठंडे बस्ते में पड़ी रही।
क्या होता है चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ
वह रक्षा खरीद में तेजी लाएगा और विभिन्न सेवाओं के बीच संसाधनों की बर्बादी को रोकेगा। भारत एक परमाणु संपन्न देश है ऐसे में सीडीएस भारत के प्रधानमंत्री को सैन्य सलाह भी देने का कार्य करेगा। रक्षा सलाहकरा के अलावा सीडीएस रक्षा अधिग्रहण एवं सैन्य बलों से संबंधित विभिन्न मुद्दों को संबोधित करेगा। वह तीनों सेनाओं और उनके प्रमुखों के बीच समन्वय स्थापित करने में अहम भूमिका निभाएगा। रक्षा क्षेत्र के लिए बजट आवंटन एवं विभिन्न योजनाओं में भी सीडीएस महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।