दिल्ली की सियासत में कौन लंबी दूरी तय करने वाला नेता बनेगा और किसकी राजनीति की अंतिम पारी होगी, चुनावी परिणाम से यह भी स्पष्ट हो जाएगा।
लोकसभा के सियासी संग्राम में जीत-हार का पिटारा आज खुल जाएगा। दिल्ली की सियासत में कौन लंबी दूरी तय करने वाला नेता बनेगा और किसकी राजनीति की अंतिम पारी होगी, चुनावी परिणाम से यह भी स्पष्ट हो जाएगा। कुछ विधायक के गलियारे से संसद के गलियारे तक पहुंचेंगे, वहीं हारने पर बैरंग भी जाएंगे। लंबी दूरी की छलांग लगाने वाले नेता भी चुनावी नतीजे से तय होंगे। एग्जिट पोल पर भरोसा करें और भाजपा की केंद्र में सरकार बनी तो दिल्ली के कोटे से एक सांसद कैबिनेट में जगह बनाएंगे। दलबदलू का भी हिसाब-किताब होगा। चुनावी प्रचार में जिम्मेदारी संभालने वाले नेताओं का भी आकलन होगा कि अन्य राजनीतिक पार्टी से आने वालों से नतीजों पर क्या प्रभाव पड़ा। चुनावी नतीजों से निकला संदेश बहुत कुछ तय कर देगा।
चुनावी नतीजे आने के बाद कई नेताओं के भाग्य का सितारा चमकने, वहीं कई की राजनीति की अंतिम पारी होने का अंदेशा है। चांदनी चौक लोकसभा सीट की बात करें तो इस सीट से जयप्रकाश अग्रवाल और पश्चिमी दिल्ली सीट से महाबल मिश्रा के पक्ष में नतीजा आता है तो वह इंडी गठबंधन के बड़े नेता के रूप में उभरेंगे। भाजपा के पक्ष में नतीजा आता है तो पांच साल बाद इनकी उम्र की सीमा की वजह से राजनीति हाशिए पर जा सकती है।
चांदनी चौक सीट भाजपा के पक्ष में गई तो भाजपा को एक व्यापारी नेता मिल जाएगा। इसी तरह उत्तर-पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के पक्ष में जाता है तो राहुल गांधी के करीबी होने की वजह से उनका भविष्य कांग्रेस में उज्ज्वल रहेगा, नहीं तो उन्हें बैरंग जाना होगा। उधर इस सीट से तीसरी बार मनोज तिवारी जीत दर्ज करते हैं तो उनका कद भाजपा में काफी बढ़ जाएगा। केंद्र की राजनीति में न सिर्फ उनका दखल होगा बल्कि कैबिनेट की दावेदारी भी रहेगी। उधर, दक्षिणी दिल्ली सीट की लड़ाई भी काफी रोचक है। विधानसभा नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी भी अपनी अंतिम पारी ही खेल रहे हैं।
युवा नेताओं की साख भी दांव पर
इस लोकसभा चुनाव में कई युवा नेताओं की साख भी दांव पर है। नई दिल्ली सीट की बात करें तो यहां से सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज की पूरी सियासत दांव पर लगी है। बांसुरी स्वराज अगर जीत दर्ज करती हैं तो वह भाजपा में सबसे लंबी पारी खेलने वाली नेता बनकर उभर सकती हैं। इसी तरह पूर्वी दिल्ली की बात करें तो आप विधायक कुलदीप की सियासत भी दांव पर है। भाजपा प्रत्याशी हर्ष मल्होत्रा को शिकस्त देते हैं तो वह विधायक से संसद के गलियारे तक पहुंच जाएंगे। हार की स्थिति में वह आगामी विधानसभा चुनाव में भी हाथ आजमा सकते हैं। पश्चिमी दिल्ली सीट से भाजपा नेता कमलजीत सहरावत जीत दर्ज करती हैं तो दिल्ली को एक जाट नेता मिल जाएगा। इसी तरह उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से भाजपा का कमल खिलता है तो योगेंद्र चंदोलिया के रूप में एक एससी नेता मिल जाएगा। हालांकि यह सब-कुछ चुनावी नतीजे आने के बाद ही आकलन संभव होगा।
दलबदलुओं की भी राजनीति को दशा और दिशा देने वाला होंगे नतीजे
चुनावी नतीजे कई दलबदल करने वाले नेताओं के लिए भी संजीवनी का काम करेंगे। कांग्रेस पार्टी से एक बड़ा धड़ा इस चुनाव में भाजपा में शामिल हुआ है। इसमें मुख्य रूप से अरविंदर सिंह लवली, राजकुमार चौहान, नसीब सिंह समेत कई नेता शामिल है। चुनाव के नतीजे इनकी भी राजनीति को धार या कुंठित करेंगे। जिस लोकसभा क्षेत्र में चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी गई थी वहां की जीत-हार पर आगे की राजनीति तय होगी। चुनावी नतीजों से प्रदेश कांग्रेस और भाजपा के संगठन पर भी असर दिखेगा। इसके साथ ही भाजपा के उन नेताओं के भी राजनीतिक उत्थान और पतन के बारे में संकेत देगा जिनका टिकट इस बार काट लिया गया था।