अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवान अर्जुन खेरियल ने ‘लाडो, लाडो मेरी, लाडो…’ गाना गया और देश की बेटियों को समर्पित किया है।

देश के उत्थान और विकास में देश की बेटियों के योगदान को दर्शाने के साथ एक सैनिक की बेटी के माध्यम से इस गीत में हिमवीर की भावनाओं, ड्यूटी और सुरक्षा बलों की दृढ़ता को दर्शाया गया है। गीत के माध्यम से जवानों और बेटियों की भावनाओं के उतार चढ़ाव को बहुत संजीदगी से प्रदर्शित किया गया है।
खेरियल बताते हैं कि इस गीत में शहीदों, उनके परिवारों और बेटियों का जिक्र है और बेटियों को संदेश दिया गया है कि यदि उनके पिता-भाई या अन्य कोई परिजन अपने कर्तव्य पथ पर देश की सेवा में शहीद भी हो जाएं तो हमेशा ये समझें कि उनका साया हमेशा आशीर्वाद बनकर उनके साथ बना रहेगा। बेटियों को पढ़ाने, उन्हें काबिल बनाने का संदेश भी इस गीत के माध्यम से दिया गया है।
उन्होंने कहा कि देश में नारी सशक्तिकरण के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, सुरक्षा बलों में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। आईटीबीपी देश का अग्रणीय अर्धसैनिक बल है। इस बल के जवान अपनी कड़ी ट्रेनिंग और व्यवसायिक दक्षता के लिए जाने जाते हैं।
साथ ही किसी भी हालात या चुनौती का मुकाबला करने के लिए हर समय तत्पर रहते हैं। वर्षभर हिमालय की गोद में बर्फ से ढकी अग्रिम चौकियों पर रहकर देश की सेवा करना इनका मूल कर्तव्य है, इसलिए इनको ‘हिमवीर’ के नाम भी जाना जाता है।
बता दें कि आईटीबीपी में महिलाओं की संख्या 2000 से अधिक है और वर्ष 2017 से भारत चीन सीमा पर बल की दुर्गम अग्रिम चौकियों पर महिलाओं की तैनाती की जा रही है। इन सीमाओं पर तापमान शून्य से 45 डिग्री नीचे तक चला जाता है और ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है।
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