आइये जानते की हिंदू धर्म में उदया तिथि के अनुसार क्यों मनाए जाते हैं अधिकांश पर्व

हिंदू धर्म में उदया तिथि को विशेष अहमियत दी गई है। अधिकतर ज्योतिष उदया तिथि से आरम्भ होने वाले उपवास तथा पर्व को मनाने की सलाह देते हैं, चाहे उस उपवास अथवा पर्व की तिथि एक दिन पहले ही क्यों न आरम्भ हो चुकी हो। उदया तिथि का अर्थ है, जो तिथि सूर्योदय के साथ आरम्भ हो। हालांकि इस मामले में ज्योतिषियों के भिन्न-भिन्न मत हैं। जानिए इसके बारे में…

वही इस मामले में हिंदू धर्म के सभी उपवास तथा पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार किए जाते हैं। पंचांग तिथि, वार, नक्षत्र, योग तथा करण से मिलकर बना कैलेंडर है। पंचांग में कोई भी तिथि 19 घंटे से लेकर 24 घंटे की हो सकती है। तिथि का ये अंतराल सूर्य तथा चंद्रमा के अंतर से निर्धारित होता है। ये तिथि चाहे कभी भी लगे, किन्तु इसकी गणना सूर्योदय के आधार पर की जाती है क्योंकि पंचांग के मुताबिक भी सूर्योदय के साथ ही दिन परिवर्तित होता है। ऐसे में जो तिथि सूर्योदय के साथ आरम्भ होती है, उसका असर पूरे दिन रहता है, चाहे बेशक उस दिन कोई दूसरी तिथि क्यों न लग जाए।

जैसे मान लीजिए कि आज सूर्योदय के वक़्त दशमी तिथि है तथा वो प्रातः 10ः32 बजे समाप्त हो जाएगी तथा एकादशी तिथि लग जाएगी, तो भी दशमी तिथि का असर पूरे दिन रहेगा तथा एकादशी का उपवास कल 25 मार्च को ही रखा जाएगा क्योंकि सूर्योदय के समय एकादशी तिथि होगी। ऐसे में 25 मार्च को चाहे दिन में द्वादशी क्यों न लग जाए, किन्तु पूरे दिन एकादशी तिथि का असर माना जाएगा।

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