भारत में ज्यादातर व्रत पति और बेटे की सलामती और उनके भविष्य की मंगल कामना के लिए ही रखे जाते हैं. उन्हीं व्रत में से एक अहोई अष्टमी का व्रत है. वैसे तो ये व्रत लड़कों की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. लेकिन बदलते दौर के साथ लोगों की सोच भी बदल रही है. कुछ लोग ये व्रत अपनी बेटियों के लिए भी रखने लगे हैं.
अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रखा जाता है. शनिवार को सुबह चार बजे चांद देख कर व्रत शुरू होता है और रात को तारे देखकर यह व्रत पूरा होता है. इस व्रत को महिलाएं करवाचौथ के चौथे दिन निर्जल व्रत रखती हैं.
महिलाएं इस व्रत पर रंगोली बनाती है, उसमें अष्टमी के कारण आठ गोले जरूर बनाती हैं.
महिलाएं तारों व भगवान गणेश की पूजा-अर्चना कर उन्हें लड्डू, फल व पंचामृत का भोग लगाकर पूजा करती हैं. उसके बाद प्रसाद ग्रहण करके अपना व्रत पूरा करती हैं.