देश में कोरोना वायरस के मामलों में इजाफा देखने को मिल रहा है. इस बीच उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड में मोबाइल फोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का आदेश वापस ले लिया है.

इससे पहले उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य महानिदेशक के के गुप्ता की तरफ से जारी किए गए आदेश में साफ-साफ कहा गया था कि प्रदेश के कोविड-19 समर्पित एल-2 और एल-3 चिकित्सालयों में भर्ती मरीजों को आइसोलेशन वार्ड में मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं है, क्योंकि इससे संक्रमण फैलता है.
हालांकि अब योगी सरकार ने इस आदेश को वापस ले लिया है और आइसोलेशन वार्ड में मरीज मोबाइल का इस्तेमाल कर सकेंगे.
ताजा आदेश के मुताबिक शर्तों के साथ रोगियों को निजी मोबाइल के प्रयोग की अनुमति दी जा सकती है. आइसोलेशन वार्ड में जाने से पहले रोगी यह बताएगा कि उसके पास मोबाइल फोन और चार्जर है.
आइसोलेशन वार्ड में भर्ती होने से पहले मोबाइल और चार्जर को चिकित्सालय प्रबंधन के जरिए डिसइंफेक्ट किया जाएगा.
वहीं मोबाइल और चार्जर रोगी किसी अन्य मरीज और स्वास्थ्यकर्मी के साथ साझा नहीं करेगा. आइसोलेशन वार्ड से डिस्चार्ज होने के बाद मरीज का मोबाइल और चार्जर डिसइंफेक्ट किया जाएगा.
दरअसल, यूपी के डीजी मेडिकल केके गुप्ता ने कोरोना के मरीजों को मोबाइल साथ ले जाने पर पाबंदी लगाने का आदेश दिया था.
इसके लिए राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज और संबंधित अधिकारियों को पत्र भी लिखा गया था. महानिदेशक के जरिए जारी आदेश के बाद राज्य में कोविड-19 समर्पित अस्पतालों में मरीजों के जरिए मोबाइल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. डीजी के मुताबिक मोबाइल से कोरोना संक्रमण फैलता है.
वहीं इस मामले पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर तंज कसा था. अखिलेश यादव ने तंज के लहजे में ट्वीट किया, ‘अगर मोबाइल से संक्रमण फैलता है तो आइसोलेशन वार्ड के साथ पूरे देश में इसे बैन कर देना चाहिए.
यही तो अकेले में मानसिक सहारा बनता है. वस्तुतः अस्पतालों की दुर्व्यवस्था और दुर्दशा का सच जनता तक न पहुंचे, इसलिए ये पाबंदी है. जरूरत मोबाइल की पाबंदी की नहीं बल्कि सैनिटाइजेशन कराने की है.’
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