असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने अफ्रीकी स्वाइन बुखार (एएसएफ) से बुरी तरह प्रभावित इलाकों में करीब 12,000 सूअरों को अक्तूबर के अंत तक मारने का आदेश दिया है। अधिकारियों ने बताया कि कोविड-19 लॉकडाउन के कारण पहले से ही असम का सूअर पालन क्षेत्र प्रभावित था। वहीं, अब अफ्रीकी स्वाइन बुखार के चलते राज्य में 18,000 सुअरों की मौत हो गई है। बताया गया है कि पहला एएसएफ केस मई में सामने आया था।

सूअर फार्म के मालिकों का कहना है कि सरकार का आंकड़ा गलत है, क्योंकि इस बीमारी के कारण 1,00,000 से अधिक सुअरों की मौत हो गई है। बीमारी की कोई वैक्सीन नहीं है और इसकी मृत्यु दर 90 से 100 फीसदी है। फार्म मालिकों ने शिकायत की है कि सरकार की ओर से न तो कोई मदद की गई है और न ही नुकसान की भरपाई की गई है।
‘वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ’ के अनुसार, एएसएफ एक गंभीर वायरल बीमारी है जो घरेलू और जंगली सूअर दोनों को प्रभावित करती है। यह बीमारी जानवरों से इंसानों में नहीं फैलती है। इसका प्रसार दूषित चारे और वस्तुओं जैसे कि जूते, कपड़े, वाहन, चाकू के माध्यम से भी हो सकता है।
पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग के आयुक्त और सचिव श्याम जगन्नाथन ने मई से अपने अनुमानों का हवाला दिया और कहा कि लगभग 18,000 सुअरों की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि सोनोवाल ने दुर्गा पूजा उत्सव से पहले 12,000 संक्रमित सुअरों को मारने का आदेश दिया है।
प्रोटोकॉल के अनुसार, एक बार एक क्षेत्र में मृत सुअरों के नमूनों का परीक्षण किया जाएगा और इसके एएसएफ से संक्रमित होने की पुष्टि होने पर इलाके के चारों ओर एक किमी के दायरे को उपरिकेंद्र के रूप में घोषित किया जाएगा। फिर उस क्षेत्र के सभी सुअरों पर मुहर लगाई जाएगी और उन्हें मार दिया जाएगा।
उपरिकेंद्र के बाहर एक किमी के दायरे वाले क्षेत्र को सर्विलांस जोन और इसके बाद 9 किमी के दायरे को बफर जोन कहा जाएगा। राज्य के 13 जिलों में 33 उपरिकेंद्र हैं। पड़ोसी राज्यों ने भी असम से सुअरों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। बता दें कि, 2019 पशुधन की जनगणना के अनुसार, असम में सबसे अधिक सूअर आबादी है। राज्य में करीब 21 लाख सूअर हैं।
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