अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक कामयाब कारोबारी भी हैं। ब्रुकलिन न्यूयॉर्क से डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बिजनेस करियर की शुरूआत अपने पिता के साथ मिलकर की थी। आज अरबों रूपए की संपत्ति के मालिक हैं ट्रंप। 1971 में खुद के रियल एस्टेट बिजनेस की नींव रखी।
जिसका नाम उन्होंने रखा ‘मेनहट्न रियल स्टेट’। फिफ्थ एवेन्यू, ट्रंप टावर, ट्रंप पार्क और ट्रंप प्लाजा इन सभी प्रोजेक्ट्स के साथ डोनाल्ड ट्रंप अपनी कारोबारी कामयाबी की सीढियां चढ़ते चले गए।
रियल एस्टेट की दुनिया में शक्तिशाली खिलाड़ी बन गए। जब ट्रंप केवल 27 साल के थे तब ही वह 14,000 फ्लैट्स के मालिक बन गए थे। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिता से 14 मिलियन डॉलर उधार लेकर अपना व्यापार शुरू किया था। लगभग 251 अरब के मालिक हैं डोनाल्ड ट्रंप।
अगर डोनाल्ड ट्रंप की संपति की बात की जाए तो वो किसी धनकुबेर से कम नहीं हैं। डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के 336 वें अमीर आदमी हैं, और अमेरिका के 156 धनी व्यक्ति हैं। 2019 सितंबर में फोर्ब्स के अनुमान के अनुसार ट्रंप की कुल कुल संपत्ति संपत्ति 3.5 बिलियन डॉलर जो भारतीय रूपए में लगभग 251 अरब है। जिसमे शामिल हैं-
कैश और निजी संपत्ति
लगभग 222 करोड़ (310 मिलियन डॉलर)
ब्रांड संपत्ति
लगभग 575 करोड़ (80 मिलियन डॉलर )
गोल्फ कोर्स और क्लब
424 करोड़ (590 मिलियन डॉलर )
NYC रियल स्टेट
लगभग 107 अरब (1.5 बिलियन डॉलर )
NYC नॉन -रियल स्टेट
लगभग 474 करोड़ (660 मिलियन डॉलर)
ट्रंप का घर का नाम है जो किसी राजमहल से कम नहीं। जानिए क्या खास है इस ट्रंप महल में,
द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बावजूद, डोनाल्ड ट्रंप अपने सलाहकारों के साथ बात कर रहे थे कि वह अपने कार्यकाल के दौरान न्यूयॉर्क शहर में कितना समय बिता सकते हैं। यह इसलिए क्योंकि उनको अपने घर में रहना था।
द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, ट्रम्प अपनी अध्यक्षता के दौरान व्हाइट हाउस और न्यूयॉर्क शहर के बीच अपने समय को कैसे विभाजित किया जाए इस पर विचार करते रहते हैं। वो अपने निजी घर में ज्यादा से ज्यादा समय बिताने का प्रयास करते हैं।
उनके घर की संपत्ति न्यूयॉर्क सिटी के सेंट्रल पार्क और कला और परिवार की दीवारों को चित्रित करती है। साल 2014 में एक बार उन्होंने अपने जीवनीकार, माइकल डी’ऑनटनियो को एक साक्षात्कार में बताया था कि,“यह एक बहुत ही जटिल इकाई है; इस इकाई का निर्माण, यदि आप स्तंभों और नक्काशियों को देखते हैं, तो इस इकाई का निर्माण भवन के निर्माण से कहीं अधिक कठिन था’