सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई के बाद फैसले की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। हर तरफ इस मामले की चर्चा है। इस बीच सुरक्षा बलों की सरगर्मी भी तेज हो गई है। हाइवे से लेकर सरयू नदी के पुल और शहर के आंतरिक मार्गों से लेकर रामकोट तक चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवानों को तैनात कर सुरक्षा घेरा सख्त कर दिया गया है।
पुलिस प्रशासन ने नब्बे के दशक में चरम पर रहे मंदिर आन्दोलन के दौरान कारसेवकों की भीड़ को रोकने के लिए बनाए सभी सुरक्षा चौकियों को फिर से पुनर्जीवित कर दिया गया है।
इसके अलावा रामकोट क्षेत्र में बिना पास वाले वाहनों का प्रवेश पूरी तरह से निषिद्ध हो गया है। जुलाई 2005 में हुई आतंकी घटना के बाद से रामकोट में मंगलवार व शनिवार को चार पहिया वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया था लेकिन समय के साथ इस व्यवस्था को शिथिल कर दिया गया। अब एक बार पुन: उसी व्यवस्था को नए रूप में सामने लाया गया है और सभी बैरियरों की मरम्मत कराकर उन पर पुलिस के जवानों की तैनाती कर दी गई है।
रामजन्मभूमि के अधिग्रहीत परिसर की सुरक्षा पर एक नजर
रामजन्मभूमि के अधिग्रहीत परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को अलग-अलग जोन/कार्डन में विभक्त कर फूलप्रूफ सुरक्षा व्यवस्था पहले से ही की गई थी। मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर में विराजमान रामलला आइसोलेशन जोन में आता है जिसकी सुरक्षा में केन्द्रीय सुरक्षा बल तैनात है। इसके अलावा 70 एकड़ के अधिग्रहीत परिसर को रेड जोन माना गया है।
यहां भी त्रिस्तरीय बैरीकेडिंग के साथ पर्याप्त सुरक्षा है जिसमें केन्द्रीय सुरक्षा बल के अलावा सिविल पुलिस व पीएसी संयुक्त रूप से तैनात है। अधिग्रहीत परिसर के बाहर सम्पूर्ण पंचकोसी परिक्रमा मार्ग को यलो जोन घोषित किया गया है। इस क्षेत्र में सिविल पुलिस तैनात है और यहां मंडल भर के थाना व चौकियों के जवानों की ड्यूटियां एक-एक माह के लिए क्रमश: लगाई जाती है।
जिला प्रशासन ने शासन से मांगी अतिरिक्त फोर्स
पुलिस अधीक्षक नगर विजयपाल सिंह के अनुसार सुरक्षा व्यवस्था के लिए शासन से अतिरिक्त फोर्स मांगी गई है। इसमें दस एएसपी, 25 डिप्टी एसपी, 25 निरीक्षक, 125 उपनिरीक्षक, सात सौ आरक्षी, 45 महिला उपनिरीक्षक, एक सौ महिला आरक्षी, 14 उपनिरीक्षक यातायात, 13 मुख्य आरक्षी यातायात, 85 आरक्षी यातायात समेत छह कंपनी पीएसी, दो कंपनी आरएएफ, एक कंपनी बाढ़ राहत पीएसी शामिल है।