रामनगरी में चौथे दिव्य दीपोत्सव की तैयारी शुरू हो गई है। अवध विवि से लेकर शासन-प्रशासन अपने स्तर से दीपोत्सव को दिव्य व भव्य बनाने में जुटा है। इस बार निगम प्रशासन ने दीपोत्सव को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए अहम फैसला लिया है। नगर निगम प्रशासन का मानना है कि इस बार कोरोना के चलते विभिन्न पर्यटक व श्रद्धालु अयोध्या नहीं पहुंच सकेंगे लेकिन उनके दीप यहां जल सकेंगे।
इसके लिए राजस्थान व गुजरात समेत विभिन्न प्रांतों से दीप एकत्रित किए जा रहे हैं। दीप एकत्रित करने वालीं संस्थाएं अपने प्रदेश के जिलों में रामनगरी के दीपोत्सव के लिए 30 हजार दीप एकत्रित कर रहीं हैं। ये सभी संस्थाएं नगर निगम प्रशासन के संपर्क में हैं। इन संस्थाओं के दीये जलाने की जिम्मेदारी नगर निगम ने ली है। ये संस्थाएं एकत्रित दीपों को नगर निगम को सौंपेंगी। इन दीपों को जलाने के लिए राम की पैड़ी के एक घाट को आरक्षित करने की तैयारी है।
अवध विवि के वालंटियर्स इन दीपों को रोशन करेंगे। नगर निगम प्रशासन का मानना है कि इससे दीपोत्सव की आभा देश के सभी प्रदेशों तक पहुंचेगी और दीपोत्सव राजकीय मेले से आगे बढ़कर राष्ट्रीय मेले के रूप में विकसित होगा। यह पर्यटकों को भी लुभाएगा। नगर निगम प्रशासन का कहना है कि यह कार्यक्रम अनवरत जारी रहेगा।
राष्ट्रीय शहरी अजीविका मिशन के तहत शहर में दो सौ से अधिक गरीब महिलाओं को गोबर के दीप बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है। यह महिलाएं तीन रूपए की लागत से गोबर के दीप तैयार कर रही हैं लेकिन दीपोत्सव में ऑर्डर अब तक न मिलने से महिलाएं निराश है। शहरी अजीविका मिशन की ट्रेनर सबीहा शकील, अनीता व लक्ष्मी का कहना है कि गोबर के दिए इको फ्रेंडली हैं और जलने के बाद यह पूरी तरह से राख में तब्दील हो जाते हैं।
डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय ने चौथे दीपोत्सव में दीपों को जलाने के लिए कार्ययोजना तैयार कर ली है। इस बार 24 घाटों पर करीब 5.50 लाख दीये जलाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रत्येक घाट पर स्वयं सेवकों के साथ दीपों की संख्या का निर्धारण कर लिया गया है। दीपोत्सव में विश्वविद्यालय परिसर, महाविद्यालय, विभिन्न गैर शैक्षिक संस्थान, एनसीसी, एनएसएस एवं समेत आठ हजार स्वयंसेवक सहयोग करेंगे।
दीपोत्सव में प्रति स्वयंसेवक 75 दीये जलाने का लक्ष्य है। कुलपति रविशंकर सिंह ने स्वंय सेवकों, महाविद्यालयों व परिसर के जिम्मेदार अधिकारियों के साथ बैठक की है। प्रो. शैैलेंद्र वर्मा ने बताया कि इस बार दीपोत्सव में 5 लाख 50 हजार दीये जलाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए अयोध्या की राम की पैड़ी पर 24 घाटों का चयन किया गया है। बताया है कि 8 नवंबर को घाटों पर मार्किंग होगी। दीपोत्सव कार्यक्रम के लिए मोबाइल टीम बनाई गई है, जो दीये जलाने में सहायता प्रदान करेंगे। ड्रोन से दीपोत्सव की मॉनिटरिंग की जाएगी।
रामनगरी में काशी की तर्ज पर आरती के लिए सरयू तट पर संगमरमर का भव्य नया घाट बन रहा है। जहां से सीएम योगी आदित्यनाथ मां सरयू की आरती करके शुभारंभ करेंगे। अयोध्या में इस बार कोरोना महामारी के बीच दीपोत्सव मनाया जाएगा। चौथे साल में होने वाले दीपोत्सव को और भी भव्य तरीके से मनाने की तैयारियां शुरू हो गईं हैं। तीन दिवसीय त्रेेतायुग जैसी दिवाली में सीएम योगी 13 नवंबर को शामिल होंगे।
इस दौरान राम की पैड़ी साढ़े पांच लाख दीपों से जगमगाएगी। सरयू तट पर भव्य आतिशबाजी की जाएगी। मुख्यमंत्री मां सरयू की आरती भी उतारेंगे। इसके लिए नया आरती स्थल बनाया जा रहा है जिसमें पांच भव्य बुर्ज बनाए जा रहे हैं। ये बुर्ज सफेद संगमरमर पत्थर में आकर्षक नजर आएंगें। इसी नए आरती स्थल पर सीएम मां सरयू की 5051 बत्ती की महाआरती उतारेंगे।
अवध विवि का फाइन आर्ट विभाग इस बार सीएम के मंच के सामने घाट पर दैवीय शक्ति स्वरूप रामायण आधारित कलाकृति बनाएगा। फाइन आर्ट के 100 छात्राएं व पांच शिक्षिकाएं दीपों के जरिए लंका से पुष्पक विमान से लौटे भगवान राम व उनके परिवार का चित्रण करेंगी। इसे थ्री डी इफेक्ट के जरिए दर्शाया जाएगा। इस बार राम की पैड़ी करीब एक किमी. लंबी हो गई है
दीपोत्सव का आयोजन कोरोना के प्रोटोकाल के तहत किया जाएगा। दीपोत्सव में आम लोग शामिल नहीं हो पाएंगे। रामराज्याभिषेक में भी इस बार भीड़ एकत्र नहीं हाेने दी जाएगी। सूत्रों के अनुसार रामराज्याभिषेक के कार्यक्रम में खास मेहमानों, साधु-संतों सहित महज 200 लोगों को शामिल होने की अनुमति होगी। वहीं सरयू घाट पर जहां सीएम मां सरयू की आरती करेंगे। वहां भी केवल 50 लोगों को ही मौजूद रहने की अनुमति दी जाएगी।