अमेरिकी अदालत ने 26/11 मुंबई हमलों में सह-साजिशकर्ता राणा की जमानत याचिका हुई खारिज

अमेरिकी अदालत ने पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा की 1.5 मिलियन डॉलर की जमानत याचिका खारिज कर दी है। जिसे 2008 के मुंबई आतंकी हमले के मामले में उसकी संलिप्तता के लिए भारत द्वारा भगोड़ा घोषित किया गया है। वहीं, उसने उसे उड़ान का जोखिम बताया है। हेडली के बचपन के दोस्त 59 वर्षीय राणा को भारत के अनुरोध पर 10 जून को लास एंजिलिस में फिर से गिरफ्तार किया गया था। भारत ने मुंबई हमलों में राणा की संलिप्तता के लिए उसे प्रत्यर्पण करने का अनुरोध किया था। भारत में राणा भगोड़ा घोषित है।

संघीय अभियोजकों के मुताबिक 2006 से नवंबर 2008 के बीच राणा ने ‘दाऊद गिलानी’ के नाम से पहचाने जाने वाले हेडली और पाकिस्तान में कुछ अन्य के साथ मिलकर लश्कर-ए-तोइबा तथा हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी को मुंबई में आतंकी हमलों की साजिश रचने तथा हमलों को अंजाम देने में मदद की। पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी हेडली लश्कर का आतंकी है। वह 2008 के मुंबई हमलों के मामले में सरकारी गवाह बन गया है। वह हमले में भूमिका के लिए अमेरिका में 35 साल जेल की सजा काट रहा है। बता दें कि इस मुंबई हमले में छह अमेरिकियों सहित 166 लोग मारे गए थे।

लॉस एंजिल्स में अमेरिकी जिला अदालत के न्यायाधीश जैकलिन चूलजियन ने 21 जुलाई को दिए गए 24 पन्नों के अपने आदेश में राणा को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया क्योंकि उसने उड़ान भरने से खुद को जोखिम बताया है। राणा को उड़ान भरने का जोखिम बताते हुए, अमेरिकी सरकार ने जमानत पर उनकी रिहाई का विरोध किया, यह तर्क देते हुए कि अगर वह कनाडा भाग गए, तो वह भारत में मौत की सजा की संभावना से बच सकता है।

अब बात राणा के प्रत्यर्पण की करें तो भारत के लिए 2008 के मुंबई हमलों के दोषी डेविड हेडली को वापस लाना तो मुश्किल हो सकता है, लेकिन हमलों के सह-साजिशकर्ता तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण में किसी तरह की दिक्कत नहीं है। हालांकि, कुछ समय पहले तक अमेरिका ने राणा के प्रत्यर्पण के भारत का अनुरोध अभी तक दर्ज नहीं किया था, जिसके बाद माना जा रहा है कि वह जल्द ही ऐसा कर सकता है।

सहायक अमेरिकी अटॉर्नी जॉन जे लुलेजियान ने लॉस एंजिलिस की संघीय अदालत में कहा था कि राणा के विपरीत हेडली ने हमलों में अपनी संलिप्तता तुरंत स्वीकार कर ली थी और सभी आरोपों में दोष भी स्वीकार कर लिया था। इसलिए हेडली का भारत प्रत्यर्पण नहीं किया जा सकता है। हालांकि राणा ने ना तो दोष स्वीकार किया और ना ही अमेरिका के साथ सहयोग किया, इसलिए उसे वह लाभ नहीं मिल सकते हैं जो हेडली को दिए गए हैं।

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