अमेरिका और चीन कारोबारी जंग की तरफ बढ़ रहे हैं!

अमेरिका और चीन कारोबारी जंग की तरफ बढ़ रहे हैं!

अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार चीन पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रही है क्योंकि उसे लगता है कि चीन अमेरिका की बौद्धिक सम्पदा की चोरी कर रहा है। ट्रंप प्रशासन ने गुरुवार को कहा कि ये कदम इसलिए उठाना पड़ रहा है क्योंकि इस मुद्दे पर सालों तक बातचीत के बाद भी कोई बदलाव नहीं आया है। इस कार्रवाई में बाकी चीजों के साथ-साथ चीन पर टैरिफ भी लगाया जा सकता है। चीन का कहना है कि वह भी जवाब देने के लिए तैयार है। अमेरिका और चीन कारोबारी जंग की तरफ बढ़ रहे हैं!

अमेरिकी मीडिया की खबरों के मुताबिक ट्रंप सरकार चीन पर 30-60 अरब डॉलर के शुल्क और चीन के निवेश पर नियंत्रण लगाने के बारे में सोच रही है।

अमेरिका अपनी शिकायतें विश्व व्यापार संगठन में भी ले जा सकता है। अमेरिका के लिए व्यापारिक मध्यस्थता करने वाले रॉबर्ट लाइटहाइजर ने बुधवार को सांसदों को बताया कि अमेरिका की मंशा चीन पर अधिकतम दबाव बनाने और अमरिकी उपभोक्ताओं पर कम से कम दबाव रखने की है। रॉबर्ट लाइटहाइजर ने कहा कि बौद्धिक संपदा को सुरक्षित रखना अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी है।

क्यों लगाया जाएगा टैरिफ?

अमेरिकी व्यापार विभाग के अधिकारी ने कहा, “अमेरिका के पास सबूत हैं कि चीन ऐसे अमेरिकी फर्म की तलाश में है जो उनके साथ पार्टनरशिप कर चीन के बाजार में उतर सके और फिर अमेरिका पर तकनीक भेजने का दबाव बनाया जा सके।” “अमेरिका को इस बात के भी सबूत मिले हैं कि चीन अमेरिका के महत्वपूर्ण उद्योगों में निवेश को नुकसान पहुंचा रहा है और साइबर अटैक भी करवाता है।” ये सब बातें उस जांच से सामने आई हैं जिसके आदेश राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले साल अगस्त में दिए थे। व्यापार कानून के सेक्शन 301 के हिसाब से सरकार के पास अधिकार है कि वह उन देशों पर एकतरफा प्रतिबंध लगा सकती है जो व्यापार में गड़बड़ी कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के मुकाबले अपने व्यापार घाटे को लेकर कई बार आवाज उठाई है।

चीन ने क्या कहा?

गुरुवार को चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि वह भी इन नए शुल्कों का जवाब देने के लिए तैयार है। “चीन चुपचाप बैठकर अपने हक और हितों का नुकसान होते नहीं देखेगा और इनके बचाव के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा।” वॉल स्ट्रीट जरनल के मुताबिक चीन भी अमेरिका पर शुल्क लगाकर इसका जवाब देने की सोच रहा है। इसका मतलब है कि चीन अमेरिका के कृषि आयात पर भी शुल्क लगा सकता है। कृषि प्रधान राज्यों में डोनल्ड ट्रंप का वोट बेस है।

क्या अमेरिका में इस फैसले के लिए समर्थन है?

अमेरिका में ये चिंता बढ़ रही है कि चीन तकनीक इसलिए खोज रहा है ताकि उसका इस्तेमाल सैन्य कार्रवाई के लिए कर सके। अमेरिकी संसद कानून लाने की भी तैयारी कर रही है जिससे सरकार की विदेशी व्यापार सौदों को जांचने की शक्ति बढ़ेगी क्योंकि हाल ही में अमेरिकी कंपनियों के विदेशी खरीदारों के जरिए अधिग्रहण का खतरा बढ़ गया है। लेकिन कई राजनेताओं, उद्योगों और व्यापारियों ने इस फैसले का विरोध होने की भी चिंता जताई है।

सांसद एरिक पॉलसन ने रॉबर्ट लाइटहाइजर से कहा, “मैं बिल्कुल चीन के बौद्धिक संपदा के उल्लंघन को रोकने और उन्हें जिम्मेदार ठहराने के पक्ष में हूं, लेकिन हमें सिर्फ उसी पर केंद्रित होना चाहिए जो हम चीन में बदलते देखना चाहते हैं, खुद के पैर पर कुल्हाड़ी नहीं मारनी चाहिए।” लाइटहाइजर ने माना कि जवाबी कार्रवाई भी हो सकती है और खासकर अमेरिका के कृषि उद्योग पर इसका असर पड़ सकता है। लेकिन उन्होंने कहा कि अमेरिका फिर भी कार्रवाई करने से नहीं चूकेगा।

क्या हो सकता है व्यापार युद्ध

“मुझे नहीं लगता कि इस आशंका की वजह से हम अपनी बौद्धिक संपदा के लिए कदम नहीं उठाएंगे, लेकिन हम हर चीज को उचित तरीके से सोच-विचार कर करने की कोशिश कर रहे हैं।” “अगर चीन जवाबी कार्रवाई करेगा तो अमेरिका अपने किसानों के साथ खड़ा होने के लिए कदम उठाएगा।” ट्रंप ने अब तक व्यापार क्षेत्र में क्या कदम उठाए? अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मार्च में एक विवादास्पद फैसले पर मुहर लगाई जिसके बाद स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर दूसरे देशों को शुल्क देना पड़ेगा। कनाडा और मेक्सिको को इससे छूट दी गई है। यूरोपीय संघ भी छूट मिलने की उम्मीद में बैठा है।

जनवरी में ट्रंप ने वॉशिंग मशीन और सोलर पैनलों के आयात पर भी टैक्स लगाए जिससे चीन और दक्षिण कोरिया में नाराजगी बढ़ी। इसके अलावा 12 देशों के मुफ्त व्यापार सौदे की पार्टनरशिप से भी अमेरिका को बाहर खींच लिया। साथ ही कनाडा और मेक्सिको के साथ नॉर्थ अमेरिकन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एनएएफटीए) पर भी दोबारा समझौता किया जा रहा है जिसे लेकर ट्रंप कहते रहे हैं कि ये अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में नौकरियां कम करने का कारण रहा है।

क्या व्यापार युद्ध हो सकता है?

चीन ने पहले कहा है कि व्यापार युद्ध में किसी की जीत नहीं होगी। उसने दोनों देशों को शांति बनाए रखने के लिए भी कहा था और इस बात के संकेत दिए थे कि वह अमेरिका की संतुष्टि के लिए उम्मीद से ज्यादा बदलाव करने को तैयार है। ट्रंप ने एक बार ट्वीट किया था कि व्यापार युद्ध अच्छे हैं और उन्हें जीतना भी आसान है। लेकिन अमेरिका की वित्त सचिव स्टीवन न्यूचीन ने कहा कि राष्ट्रपति व्यापार युद्ध शुरू करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं।

रॉयटर्स न्यूज एजेंसी के मुताबिक अमेरिका की इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की सबसे बड़ी कंपनी ‘बेस्ट बाय’ ने चीन की कंपनी ह्युवेई से स्मार्टफोन खरीदने बंद कर दिए हैं। इसके बाद दूसरी टेलीकॉम कंपनियों एटीएंडटी और वेरीजोन ने भी ह्युवेई से संबंध खत्म कर लिए जब अमेरिका ने चीन सरकार से उसकी करीबी पर चिंता जताई। बेस्ट बाय ने इन दावों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

इस बीच बुधवार को विश्व व्यापार संगठन ने कहा कि अमेरिका ने उसके चीनी उत्पादों पर एंटी-सब्सि़डी टैरिफ के फैसले पर अब तक पूरी तरह अमल नहीं किया है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि विश्व व्यापार संगठन के फैसले के बाद ये साबित हो गया कि अमेरिका ने डब्लूटीओ के नियमों का बार-बार उल्लंघन किया है और व्यापार मामलों के निवारण के लिए बने नियमों का गलत इस्तेमाल किया है।

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