दशहरा केे दिन रावण दहन कार्यक्रम के दाैरान जोड़ा रेलवे फाटक पर हुए ट्रेन हादसे के मामले में नगर निगम के चार अफसरों को जांच में दोषी करार दिया गया है। रिटायर्ड जज अमरजीत सिंह कटारी ने इस मामले में जांच रिपोर्ट में इन अफसरों को दोषी बताया है साल 2018 में दशहरे के दिन जोड़ा फाटक पर हुए रेल हादसे में 58 लाेगों की मौत हाे गई थी। बता दें कि राज्य सरकार ने इस घटना की जांच के लिए दाे कमेटी बनाई थी। पहली कमेटी जालंधर के डिवीजनल कमिश्नर बी पुरुषार्थ के नेतृत्व गठित की गई है। वह कमेटी पहले ही अपनी रिपोर्ट पंजाब सरकार को साैंप चुकी है।
बता दें कि 19 अक्टूबर को जोड़ा रेल फाटक के पास दशहरा ग्राउंड मेंं रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण केे पुतलों के दहन का कार्यक्रम था। इसमें मुख्य अतिथि पंजाब के तत्कालीन कैबिनेट मंंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी डाॅ. नवजोत कौर सिद्धू थीं। कार्यक्रम का आयोजक सिद्धू के करीबी सौरव मदान उर्फ मिट्ठू मदान थे।
कार्यक्रम में हजारों की संख्या में लोग आए थे। काफी संख्या में लोग मैदान केे बार रेल पटरी पर भी खड़े थे। पुतलों के दहन का कार्यक्रम चल ही रहा था कि रेलवे ट्रैक पर अचानक तेज गति से ट्रेन आ गई और पटरी पर खड़े लोग उसकी चपेट में आ गए। चारों ओर चीख-पुकार मच गई। 58 लोगों की मौत हो गई और 140 से अधिक लोग घायल हो गए।
इस मामले पर सियासत भी खूब गर्माई। नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू निशाने पर आ गए। सिद्धू दंपती पर मिट्ठू मदान से नजदीकी को लेकर भी सवाल उठाए गए। यह भी आरोप लगाया गया कि डॉ; नवजोत कौर हादसे के शिकार लाेगों की मदद करने के बजाए घटना के बाद वहां से चली गईं। बाद में जांच में डॉ. नवजोत कौर सिद्धू काे क्लीनचिट दे दी गई।
रिटायर्ड जज अमरजीत सिंह कटारी ने जांच रिपोर्ट में अमृृतसर नगर निगम के एस्टेट अफसर सुशांत कुमार, सुपरिंटेंडेंड पुष्पिंदर सिंह, इंस्पेक्टर केवल किशन और सुपरिंटेंडेंट गरीश कुमार को दोषी करार दिया है। वहीं अतिरिक्त जिला फायर अफसर कश्मीर सिंह पर आरोप साबित न होने पर उन्हें आरोपमुक्त कर दिया गया है।
सिद्धू के करीबी आयोजक मिट्ठू मदान सहित 21 को जीआरपी कर चुकी है एफआइआर में नामजद
मामले में खास बात यह है कि दशहरा पर्व का आयोजन करने वाले प्रसिद्ध क्रिकेटर व विधायक नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी सौरभ मदान उर्फ मिट्ठू मदान को इस मामले में गवाह बनाया गया है। साथ ही उसे एफआइआर में नामजद भी किया गया है। मदान सहित 21 लाेगों के खिलाफ जीआरपी ने एफआइआर दर्ज कर रखी है।
उधर, एस्टेट अफसर सुशांत कुमार ने बताया कि अतिरिक्त चीफ सचिव, स्थानीय निकाय विभाग ने उन्हें 26 अगस्त 2020 को अपना पक्ष रखने के लिए एक मौका दिया है।
जीआरपी की एफआइआर में किसी आरोपित की गिरफ्तारी नहीं
मामले की पैरवी कर रहे मानवाधिकार संगठन के चीफ इनवेस्टिगेटर सरबजीत सिह वेरका ने बताया कि 19 अक्टूबर 2018 को जीआरपी ने अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किया था। जांच के बाद कुल 21 लोगों को नामजद किया गया। इनमें कार्यक्रम के आयोजक सौरभ मदान उर्फ मिट्ठू मदान, राहुल कल्याण, करण भंडारी, काबल सिंह, दीपक गुप्ता, भूपिंदर सिंह, एसीपी प्रभजोत सिंह विर्क, एएसआइ दलजीत सिंह, एएसआइ सतनाम सिंह, मोहमकपुरा थाने का मुंशी, सांझ केंद्र के इंचार्ज बलजीत ङ्क्षसह, एएसआइ कमलप्रीत कौर, सब इंस्पेक्टर सुखनिंदर सिंह, थाना प्रभारी अवतार निगम के एस्टेट अफसर सुशांत भाटिया, इलाका इंस्पेक्टर केवल किशन, पुष्पिंदर सिंह शामिल हैं।
जालंधर के डिवीजनल कमिश्नर बी पुरुषार्थ की रिपोर्ट में हादसा करने वाली डीएमयू के पायलट, असिस्टेंट पायलट, गार्ड व गेटमैन को भी लापरवाही के लिए जिम्मेदार माना गया था। वेरका ने बताया कि राजनीतिक दवाब के कारण आज तक जीआरपी ने एक भी आरोपित को गिरफ्तार नहीं किया।
आरोपितों की गिरफ्तार के लिए जाएंगे हाई कोर्ट : वेरका
रिटायर्ड जज अजीत सिंह बैंस की अगुवाई में काम कर रहे चीफ इनवेस्टिगेटर सरबजीत सिंह वेरका ने बताया कि हादसे में 58 लोगों की मौत हुई और 70 से ज्यादा घायल हो गए थे। आरोपितों का राजनीति में काफी दबदबा है। इसके कारण कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई। वह उक्त सारे मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर करेंगे ताकि आरोपितों की गिरफ्तारी के साथ-साथ ट्रायल शुरू हो सके।
जांच के खिलाफ जाएंगे निकाय विभाग: पुष्पिंदर
निगम के सुपरिंटेंडेंट पुरूिपंदर सिंह ने बताया कि वह उक्त फैसले के खिलाफ निकाय विभाग (चंडीगढ़ कार्यालय) में पंद्रह दिन के भीतर अपना जवाब दायर करने जा रहे हैं। 28 अगस्त को सुनवाई में वह खुद अतिरिक्त मुख्य सचिव स्थानीय निकाय विभाग के समक्ष पेश होंगे। बता दें पुष्पिंदर सिंह पर आरोप है कि उन्होंने इलाके में लगे दशहर दहन के पोस्टरों को हटवाया नहीं था।
निगम कमिश्नर के पीए पर भी लापरवाही का आरोप
तत्कालीन निगम कमिश्नर के पीए अनिल अरोड़ा पर भी लापरवाही के आरोप लगे हैं। बताया जाता है कि पीए ने निगम कमिश्नर को बताया नहीं कि दशहरा दहन वाली जगह पर 15-20 हजार लोग एकत्र होने वाले हैं। वहां रेलवे लाइन साथ ही गुजरती है। आरोप है कि उसने आला अधिकारियों को यथा स्थिति के बारे में अवगत नहीं करवाया।