सपा पार्टी की हालत ठीक नहीं चल रही है। अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और सपा की आपसी कलह ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। आये दिन कोई ना कोई नया मामला देखने को मिल रहा है, और आपसी कलह बढ़ती ही जा रही है। इसका अंत कब होगा इसका तो पता नहीं है लेकिन इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई थी? इसके बारे में सोशल मीडिया पर एक मैसेज खूब प्रचारित किया जा रहा है।
आखिर क्या है मामला?
आपको बता दें कि इलाहबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल गंगा नदी में मूर्तियों को विसर्जित करने पर रोक लगा दी थी। जिस वजह से देश के सभी साधू- संत नाराज हो गए थे। धार्मिक संगठन और साधू- संत मूर्तियों को गंगा में ही विसर्जित करने पर अड़े हुए थे। गंगा में मूर्ति विसर्जन पर लगे प्रतिबन्ध के विरोध में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रमुख शिष्य स्वामी अविमुक्तरेश्वरानंद, पातालपुरी मठ के महंत बालक दास और कुछ बटुक बैठे हुए थे।
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22 सितम्बर 2015 को इनके ऊपर यूपी पुलिस ने जमकर लाठियाँ बरसाई। पुलिस ने धारा 144 लगाते हुए धरने पर बैठे सभी लोगों पर लाठीचार्ज किया। इस लाठीचार्ज से कई संत और आम लोग बुरी तरह से घायल हो गए। पुलिस के इस हमले से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भी बुरी तरह से घायल हो गए थे। इस वजह से वह 9 दिनों तक अस्पताल में थे। महंत बालकदास ने बताया कि इसी कारण मैंने और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मिलकर सपा को श्राप दिया था कि सपा सरकार तिनके की तरह बिखर जाएगी। आज जो सपा के साथ हो रहा है सभी लोग इस बात से परिचित हैं।