नई दिल्ली। भारत के बाकी देशों के साथ बेहतर रिश्ते रखने और विदेशी निवेश को भारत में लाने के लिए केंद्र सरकार नए-नए कदम उठा रही है। मोदी सरकार के विदेश मंत्रालय ने फैसला किया है कि वह मंत्रियों को विदेशी दौरों पर भेजेगी। इसके लिए प्लान यह है कि हर मंत्री को दो देशों के दौरे पर भेजा जाएगा। इस तरह सरकार उन 68 देशों को कवर करेगी जिसमें मौजूदा सरकार का कोई प्रतिनिधि अबतक नहीं गया है।
यह काम इस साल के अंत तक पूरा करने के बारे में सोचा गया है। कौन मंत्री किस डेट को जा सकता है यानी वह कब फ्री हैं इसके बारे में भी जानकारी मांगी गई है। एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि सभी मंत्री यूएस, इंग्लैंड, चीन, जापान, जर्मनी जैसे देश जाते रहते हैं लेकिन पीएम चाहते हैं कि वे मंत्री दूसरे देश भी जाएं जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रिश्ते मजबूत हों। वहीं पीएम मोदी 190 देशों में से 46 देश घूम चुके हैं। अब वह चाहते हैं कि उनकी सरकार के बाकी मंत्री उनका साथ दें।
मौजूदा सरकार के बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेशी दौरों की खूब चर्चा होती है। इतनी बार विदेश जाने पर उनकी काफी आलोचना भी की जाती है। वहीं केंद्र सरकार अपना रुख साफ कर चुकी है कि वह विदेशी निवेश को बढ़ावा देना चाहती है और इसके लिए ही उसके मंत्री या खुद प्रधानमंत्री विदेश जाते हैं। जून में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि विदेशी निवेश घर बैठे-बैठ नहीं आने वाला।
सुषमा स्वराज ने यह भी बताया था कि पिछले दो सालों में 369,000 करोड़ रुपए विदेशी निवेश से प्राप्त हुए हैं। उनके मुताबिक, यह यूपीए के शासन काल से 43 प्रतिशत ज्यादा है। इसके साथ ही सुषमा स्वराज ने यह भी बताया था कि 2016 के अंत तक दुनिया का कोई भी देश ऐसा नहीं होगा जिससे भारत का संपर्क ना हो। सरकार के दो साल पूरे होने पर हुए कार्यक्रम में सुषमा स्वराज ने जोर देकर कहा था कि विदेशी निवेश के लिए विदेश की यात्राएं जरूरी हैं। सुषमा ने बताया था कि यात्राओं के फलस्वरूप ही यूएस, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया से रिश्ते सुधरे हैं।
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