सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 370 से जुड़े अपने फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इससे पहले अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के 2019 के फैसले की वैधता को बरकरार रखा था। इस आर्टिकल के द्वारा जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर अपने फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया है। शीर्ष अदालत ने 11 दिसंबर, 2023 को सर्वसम्मति से अनुच्छेद 370 के प्रविधानों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा था।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग करते हुए कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने चैंबर में याचिकाओं पर विचार किया और पुनर्विचार याचिकाओं को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने के अनुरोध को खारिज कर दिया।
संविधान पीठ ने कहा, पुनर्विचार याचिकाओं पर गौर करने के बाद रिकार्ड पर स्पष्ट रूप से कोई त्रुटि मालूम नहीं होती है। सुप्रीम कोर्ट नियम 2013 के तहत पुनर्विचार का कोई मामला नहीं बनता है। इसलिए पुनर्विचार याचिकाएं खारिज की जाती हैं।
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई, सूर्यकांत और एएस बोपन्ना शामिल थे। बताते चलें, शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार के 2019 के फैसले को बरकरार रखते हुए इस साल सितंबर के अंत तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने और राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल करने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि संसद के पास आवश्यक कानून बनाने की विधायी क्षमता है और इसे निरस्त करने से संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन नहीं होता है। पुनर्विचार याचिकाएं विभिन्न व्यक्तियों, राजनीतिक दलों और नागरिक समाज समूहों द्वारा दायर की गई थीं, जिन्होंने तर्क दिया था कि अदालत का फैसला महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दों से निपटने में विफल रहा है और स्थापित कानूनी सिद्धांतों से हट गया है।
 Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal
 
		
 
 
						
 
						
 
						
 
						
 
						
