कोरोना संकट के बीच उत्तर प्रदेश के शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्षों का कार्यकाल खत्म हो गया है. अब यह दोनों वक्फ बोर्ड योगी सरकार के अधीन ही रहेंगे.
प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रजा ने वक्फ बोर्ड में कामकाज की जांच कराने के संकेत दिए हैं. वहीं, शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने अपने कार्यकाल बढ़ाने की मांग राज्य सरकार से की है.
उन्होंने कहा कि मोहसिन रजा का कहना है कि सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान बने थे, इन दोनों के कार्यकाल में बहुत से गड़बड़ियां सामने आई हैं जिसकी जांच अब सरकार कराएगी. माना जा रहा है कि वक्फ बोर्ड में जांच हुई तो कई बड़े सियासी और धार्मिक नेता फंस सकते हैं.
गौरतलब है कि यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यकाल तो 31 मार्च को ही पूरा हो चुका था जबकि शिया वक्फ बोर्ड का कार्यकाल 18 मई को पूरा हो गया है.
सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन पद पर जुफर फारुकी पिछले 10 साल से काबिज थे तो शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन पद पर वसीम रिजवी 5 साल से थे, अब इन दोनों का कार्यकाल खत्म हो गया है. वसीम रिजवी ने सरकार से अपने कार्यकाल को बढ़ाने की मांग की है.
सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड की गड़बड़ियों को लेकर अब योगी सरकार नकेल कसने के मूड में है. मोहसिन रजा ने कहा कि वक्फ बोर्ड में नियम कायदे दरकिनार कर निजी फायदे के लिए मनमाने तरीके से नियुक्तियां की गई.
ऐसे ही कई मामले सामने आने के बाद जांच करवाने का फैसला लिया गया है. उन्होंने बताया कि वक्फ के फायदे के लिए वक्फ ट्रिब्यूनल बनाया गया है.
बता दें कि अयोध्या के मंदिर-मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और अयोध्या में किसी अन्य स्थान पर 5 एकड़ जमीन पर मस्जिद निर्माण के लिए सहमति आदि से जुड़ी तमाम फाइलें व दस्तावेज सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास हैं.
वहीं, शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रहे वसीम रिजवी ने 2015 में अपना पद सम्भाला था और उसके बाद वह लगातार कार्य करते रहे.
वसीम रिजवी प्रदेश की सत्ता बदलने के साथ अपने तेवर बदल दिए थे. सपा की पैरवी को छोड़कर उन्होंने बीजेपी और हिंदुत्व के पैरोकार बन गए थे.
उन्होंने मुस्लिम समुदाय को लेकर और मदरसों को लेकर तमाम तरह के बयान देकर सुर्खियों में थे, लेकिन अब योगी सरकार उनके कामकाज की जांच कराने की तैयारी में है.