मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अतिवंचित समुदाय को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है। यही वजह है कि आज हाशिए का तबका उन्हें महानायक मानता है। दलितों का विकास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एजेंडे में सबसे ऊपर है। अन्य सरकारों ने दलितों के वोटबैंक के लिए उन्हें गुमराह किया। ये बातें अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के चेयरमैन डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने अतिवंचित समुदाय के साथ राज्य स्तरीय संवाद बतौर मुख्य अतिथि शिरकत कर रहे कार्यक्रम में कही है। कार्यक्रम का आयोजन गोमतीनगर के पर्यटन भवन में आयोजित किया गया।
डॉ. निर्मल ने अतिवंचित समुदाय की समस्याओं को लेकर कहा कि उन्हें विकास की रोशनी दिखाई पड़ रही है। दो वर्ष में अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम ने प्रदेश के 51 हजार दलितों को रोजगार से जोड़ा है। दलित छोटे रोजगार करने से डरें नहीं, वह आगें आएं। हम उन्हें लोन और आर्थिक मदद देंगे। सरकार हर कीमत पर दलितों को मजबूत बनाना चाहती है। रोजगार से जोड़ने के लिए अभियान चलाए जाएंगे।
डॉ. निर्मल ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 28 लाख आवास, दो करोड़ 61 लाख शौचालय, आयुष्मान योजना के तहत 7 करोड़ लोगों को 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा, एक करोड़ 16 लाख निशुल्क बिजली कनेक्शन और 1 करोड़ 46 लाख रसोई गैस कनेक्शन दिए गए। इसके लाभार्थियों में 85 फीसदी की संख्या दलित, वंचित जातियों की है। राज्य सरकार मुसहर, थारू और बनटांगिया जातियों को अनिवार्य रूप से आवास योजना का लाभ दे रही है। इसी के तर्ज पर सम्मेलन में उपस्थित अति वंचित जातियों को भी इसका लाभ मिले, इसके लिए मुख्यमंत्री से मुलाकात की जाएगी। वंचित समूहों के बच्चों की शिक्षा के लिए आवासीय विद्यालय एवं उनकी बस्तियों में शिक्षा मित्र योजना चलाने को लेकर भी सरकार से मांग की जाएगी।
डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा कि वंचित जातियां जिनके पास आवास के लिए भी जमीन नहीं है, उन्हें भी पट्टे पर जमीन आवंटित कर आवास का आवंटन किया जा रहा है। इसका सर्वाधिक लाभ अतिवंचित जातियों को मिले, इसके लिए नियमावली जारी करने के लिए उच्च स्तर पर बात की जाएगी। मुसहर और कोल बस्तियों को प्राथमिकता के आधार पर सरकार विकसित कर रही है। ऐसी जातियों का जाति प्रमाण पत्र बन पाना सदियों से मुश्किल रहा है, लेकिन अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर इस मुद्दे को हल किया जाएगा
अति वंचित समुदाय की मुसहर, नट, चमरमगता, घसिया, शहरिया, कबूतरा, कंजड़, बेड़िया, लोना, जोगी, बसोर, घरिकार, बसफोर, नोना, कोल, हेला बाल्मीकि, गोड आदि जातियों के प्रतिनिधि इस सम्मेलन में मौजूद रहे। कार्यक्रम में बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष प्रीती वर्मा, सीएएसए के कमल कुमार, पूर्व आइएएस अधिकारी कैप्टन एसके द्विवेदी ने भी अपने विचार रखे।