हिंदू धर्म में कई ग्रंथ हैं और सभी में पुरानी बातों का जिक्र है. ऐसे में इन सभी में से एक ग्रंथ हैं जिसे समस्त ग्रंथों में से महाकाव्य का दर्जा प्राप्त है. हम बात कर रहे हैं महाकाव्य महाभारत ग्रंथ की. इसे पढ़ने से कई बातों का खुलासा हो जाता है और इसमें दी गई कथाओं में न केवल प्राचीन समय का बल्कि इतिहास और मानव के लिए कोई न कोई सीख का ज्ञान होता है.

अब आज हम आपको एक ऐसी ही गाथा बताने वाले हैं जिसे सुनकर आपके होस उड़ जाएंगे. महाभारत में वर्णित कथाओं के अनुसार ”धृतराष्ट्र व गांधारी के कुल 100 पुत्र थे जिसमें से दुर्योधन सबसे बड़ा थे और वह गदा चलाने में निपुण थे. दुर्योधन गदा युद्ध में पारंगत था और श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का शिष्य थे. इन्होंने कर्ण को अपना मित्र बनाकर उसे अंगदेश का राजा नियुक्त कर दिया था.”
वहीं दुर्योधन से जुड़ी एक कथा है जिसके अनुसार ”जब इन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से अपनी हार का कारण पूछा तो श्री कृष्ण ने बड़ी सहजता से उन्हें उत्तर दिया. आइए विस्तार से जानते हैं इस कथा के बारे में-जब भीम ने दुर्योधन को पराजित कर दिया तो वह अपनी उंगलियों से इशारा करके कुछ कहना चाहता थे. वह इतनी बुरी तरह से घायल हो चुके थे कि कारण वह ठीक से कुछ बोल भी नहीं पा रहे थे.
ये देखकर श्रीकृष्ण उसके पास गए. तो दुर्योधन ने श्री कृष्ण से पहले खुद बताया कि किन तीन कारणों से वह युद्ध हारे. उन्होंने अपनी पहली गलती बताते हुए कहा कि मेरी पहली भूल यह की थी कि मैंने स्वयं नारायण को नहीं बल्कि आपकी नारायणी सेना को चुना. दूसरी गलती ये थी, जब माता गांधारी ने उसे नग्न अवस्था में बुलाया तो वह कमर के नीचे पत्ते लपेटकर चला गया.
अगर वो पूरा नग्न अवस्था में जाता तो उसका पूरा शरीर वज्र के जैसा हो जाता और उसे कोई पराजित नहीं कर पाता और आख़िरी और तीसरी गलती ये थी कि वह युद्ध में सबसे अंत में आया. क्योंकि शायद वो अगर वह युद्ध की शुरुआत में ही आगे आ जाता तो कौरव वंस का नाश होने से बच जाता.
दुर्योधन की ये बातें सुनने के बाद श्री कृष्ण ने कहा तुम्हारी हार की सबसे बड़ी वजह है तुम्हारा अधर्मी आचरण. तुमने भरी सभा में अपनी कुलवधू द्रौपदी के वस्त्रों का हरण किया. जो तुम्हारे विनाश का मुख्य कारण था. इसी के साथ उन्होंने उन्हें बताया कि तुमने जीवन में ऐसे कई अधर्मी कार्य किए जो तुम्हारी पराजय का मुख्य कारण बने.” आप देख सकते हैं इस कथा से यह सीख मिलती है कि ”अधर्म से बचना चाहिए और हमेशा स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए. वरना आपको बर्बाद होने से कोई न रोक पाएगा.”
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