भारत में गहराते जल संकट और कुपोषण की समस्या से एक साथ निजात दिलाने के लिए देश की फसल प्रणाली में बदलाव की वकालत की गई है। अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में हुए और जर्नल साइंस एडवांस में छपे एक शोध के मुताबिक धान और गेहूं की फसलों की जगह अगर भारत कम पानी की खपत वाली फसलें उगाए तो न केवल वह भविष्य के पानी संकट को टाल सकता है बल्कि बड़ी हिस्से वाली कुपोषित आबादी को सेहतमंद भी कर सकता है।
दोहरी चुनौती
गेहूं और धान भारत की प्रमुख फसलें हैं। फसल सीजन के दौरान इन दो फसलों का ही सबसे ज्यादा रकबा होता है। अध्ययन के अनुसार ये दोनों फसलें सबसे ज्यादा पानी की खपत करती है जबकि उस अनुपात में इनकी पोषकता नहीं है। साल 2050 तक भारत को 39.4 करोड़ अतिरिक्त लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था करनी होगी। अगर इन्हीं दो फसलों के बूते इस लक्ष्य को पाया गया तो पानी की त्राहि-त्राहि मच सकती है। साथ ही कुपोषित आबादी की हिस्सेदारी भी बढ़ सकती है। वर्तमान में ही 30 फीसद से ज्यादा आबादी एनीमिया से ग्रसित है।