भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स समेत नौ अंतरिक्ष यात्रियों को अमेरिकी एजेंसी नासा ने अगले साल कमर्शियल रॉकेट और अंतरिक्ष यान के पहले मिशन के लिए चुना है। सुनीता इससे पहले दो मिशन के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आइएसएस) में 321 दिन बिता चुकी हैं। उनका दूसरा मिशन 2012 में खत्म हुआ था। एजेंसी ने ‘लांच अमेरिका कार्यक्रम’ में कमर्शियल अंतरिक्ष वाहन के पहले मिशन के चालक दलों की घोषणा की। चुने गए चालक दल में से आठ नासा के सक्रिय और एक पूर्व अंतरिक्ष यात्री हैं।
2019 की शुरुआत में इन्हें द बोइंग कंपनी के सीएसटी-100 स्टारलाइनर और एलॉन मस्क की स्पेस एक्स के ड्रैगन कैप्सूल पर आइएसएस भेजा जाएगा। अंतरिक्ष यान के डिजाइन और परीक्षण के लिए नासा ने दोनों कंपनियों के साथ मिलकर काम किया है। 2011 में स्पेस शटल प्रोग्राम खत्म होने के बाद अमेरिका का चालक दल के साथ पहला मिशन है। शटल प्रोग्राम खत्म होने के बाद नासा के यात्रियों को रूस के सोयुज अंतरिक्ष यान पर लांच किया जाता था।
नासा प्रबंधक जिम ब्रिडेंस्टाइन ने कहा, ‘2011 के बाद हम अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को अमेरिकी धरती से अमेरिकी अंतरिक्ष यान पर लांच करने से कुछ ही कदम दूर हैं। इससे अंतरिक्ष में अमेरिका का नेतृत्व मजबूत होगा।’ सुनीता विलियम्स (52) जोश कसाडा (45) के साथ स्टारलाइनर मिशन पर उड़ान भरेंगी। कसाडा का यह पहला अंतरिक्ष मिशन है। स्पेस एक्स के पहले मिशन पर नासा के रॉबर्ट बेहंकेन (48) और डगलस हुरले (51) होंगे। इनके अतिरिक्त बोइंग के प्रबंधक क्रिस्टोफर फेरगुसन, नासा के इरिक बोइ, निकोल मान, विक्टोर ग्लोवर और माइकल हॉपकिंस को भी पहले कमर्शियल अंतरिक्ष यान मिशन के लिए चुना गया है। बोइंग और स्पेस एक्स के अंतरिक्ष यान का मिशन सफल होने पर ऐसे देश जिनके पास अपना अंतरिक्ष यान या रॉकेट नहीं है वह भी अंतरिक्ष यात्रियों को आइएसएस भेज सकेंगे।
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