World cup 2019: पट्टी का खेल, अब शुरू होगा 22 गज की…

अब विश्व की सर्वश्रेष्ठ 10 टीमें अंग्रेजों की धरती पर 22 गज की पट्टी पर आपस में युद्ध लड़ेंगीं और 14 जुलाई को उसके चैंपियन का फैसला होगा। इसमें कोई शक नहीं है कि भारतीय टीम इस खिताब की दावेदार है लेकिन उसे इसके लिए शुरुआती नौ लीग मैचों में शानदार प्रदर्शन करके सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले अपने नाम करने होंगे। इस दौरान उसे दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज, मेजबान इंग्लैंड और पाकिस्तान जैसी टीमों को मात देने के साथ बांग्लादेश, अफगानिस्तान व श्रीलंका के खिलाफ उलटफेर से बचना होगा।

 

अपनी मजबूत बल्लेबाजी के लिए मशहूर भारतीय टीम की गेंदबाजी इस विश्व कप में उसके सफर को सही अंजाम तक पहुंचाएगी जिसकी कमान तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह और कुलदीप यादव और युजवेंद्रा सिंह चहल जैसे कलाई के स्पिनरों के हाथों में होगी। बल्लेबाजी में कप्तान विराट कोहली आगे बढ़कर टीम का मनोबल बढ़ाएंगे और रोहित शर्मा उसमें जोश भरने का काम करेंगे जबकि निचले क्रम में हार्दिक पांड्या की आतिशी बल्लेबाजी अहम भूमिका में होगी। वहीं भारतीय टीम अनुभवी विकेटकीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धौनी के लिए यह विश्व कप यादगार बनाने की कोशिश करेगी जो अपना चौथा और आखिरी विश्व कप खेलने जा रहे हैं। टीम इंडिया के मध्य क्रम में अभी भी कुछ खामियां हैं लेकिन 1983 और 2011 के चैंपियन को इस बार कम से कम सेमीफाइनल में पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। मेजबान इंग्लैंड है दमदार-   क्रिकेट के जनक इंग्लैंड को आज तक कभी विश्व कप का इतना बड़ा दावेदार नहीं माना गया जितना इस बार माना जा रहा है। वह 1975 से अब तक एक बार भी विश्व कप नहीं जीत सका है। इयोन मोर्गन की टीम में विकेटकीपर जोस बटलर, जॉनी बेयरस्टो, मोर्गन और जो रूट जैसे धांसू बल्लेबाज भरे पड़े हैं। अंतिम समय में टीम से जुड़े जोफ्रा आर्चर के साथ मार्क वुड और आदिल राशिद गेंदबाजी विभाग में जान डालने का काम करेंगे। बेन स्टोक्स और मोईन अली के रूप में इस टीम के पास दो ऐसा खिलाड़ी हैं जिन्हें क्रिकेट के तीनों विभाग में महारत हासिल है।

नए रंग में ऑस्ट्रेलिया-  कुछ समय पहले तक ऑस्ट्रेलियाई टीम को कमजोर माना जा रहा था लेकिन उसने भारत को उसके घर में वनडे सीरीज में मात देकर खुद को रीचार्ज किया और एक साल के प्रतिबंध के बाद स्टीव स्मिथ व डेविड वार्नर की वापसी ने उसे 5-जी मोड पर ला दिया है। आइपीएल में वार्नर (692 रन) ने दिखा दिया कि वह बॉल टेंपरिंग ही नहीं करते बल्कि बॉलरों की भी हालत बिगाड़ने का माद्दा रखते हैं। इन दोनों के अलावा उस्मान ख्वाजा, कप्तान आरोन फिंच, तेज गेंदबाज पैट कमिंस और मिशेल स्टार्क, फिरकी गेंदबाज नाथन लियोन और एडम जांपा कंगारू टीम को मजबूत बना रहे हैं।

न्यूजीलैंड –  न्यूजीलैंड की टीम भी कभी विश्व कप नहीं जीत पाई लेकिन उसे हमेशा अच्छी टीमों में शुमार किया जाता है। अनुभवी कप्तान और विश्व स्तरीय बल्लेबाज केन विलियमसन की टीम में मार्टिन गुप्टिल और कोलिन मुनरो जैसे बल्लेबाज हैं। तेज गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट ने भारत के खिलाफ पहले अभ्यास मैच में दिखा दिया कि वह क्या कर सकते हैं।

पाकिस्तान-   सिलसिलेवार हार के बाद पाकिस्तान की टीम विश्व कप में भाग लेने जा रही है जिसका आकलन करना मुश्किल है। पाकिस्तान की टीम में मुहम्मद आमिर और वहाब रियाज को अंतिम संयम में प्रदर्शन पर अनुभव को तरजीह देकर शामिल किया गया है। टीम के पास फखर जमां, इमाम उल हक, मुहम्मद हफीज, बाबर आजम और हैरिस सोहैल के रूप में प्रतिभावान खिलाड़ी हैं लेकिन पाकिस्तान की दूसरी पिछली टीमों की तरह इस टीम पर भी कोई भरोसा नहीं कि वह कब एकजुट होकर खेलेगी।

वेस्टइंडीज का लक्ष्य 500 रन-   वर्षो मे वेस्टइंडीज की टीम ने क्रिकेट जगत में कई बार हलचल मचाई है लेकिन कई प्रतिभाशाली खिलाडि़यों की वजह से इस टीम को डार्क हॉर्स की श्रेणी में गिना जा रहा है जहां यूनिवर्सल बॉस क्रिस गेल किसी भी टीम की हवा खराब कर सकते हैं। पिछले आइपीएल में आंद्रे रसेल ने जो 50 से ज्यादा छक्के जड़े उसे देखकर दुनिया भर के गेंदबाज उनसे खौफजदा हैं। वेस्टइंडीज की ताकत बल्लेबाजी है जिसपर वह भरोसा कर सकता है लेकिन गेंदबाजी उसकी कमजोर कड़ी है। वेस्टइंडीज के कप्तान साई होप ने कहा है कि उनकी टीम इस विश्व कप में एक मैच में 500 का आंकड़ा पार कर सकती है।

चोकर दक्षिण अफ्रीका-   फाफ डुप्लेसिस की अगुआई में यह टीम अपने ऊपर से चोकर का ठप्पा हटाने के इरादे से उतरेगी। तेज गेंदबाज डेल स्टेन की फिटनेस पर संशय बना हुए है लेकिन कैगिसो रबादा की रफ्तार और इमरान ताहिर की फिरकी विरोधी टीमों को घुटने टेकने पर मजबूर कर सकती है। यह टीम हमेशा विश्व कप के सेमीफाइनल और फाइनल में चूक जाती है। इस बार उसे चूकने से बचना होगा।

चौंकाने वाला अफगानिस्तान-  अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अफगानिस्तान का उदय एक खूबसूरत कहानी की तरह है। ऐसे में इस विश्व कप में यह टीम कई बड़ी टीमों को चौंका सकती है। राशिद खान पहले ही खुद को टी-20 क्रिकेट से सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों की जमात में स्थापित कर चुके हैं। फ्लैश करने के लिए मशहूर मुहम्मद शहजाद और आजादी के साथ खेलने वाले हजरतुल्लाह जाजइ, हशमतुल्लाह शाहिदी और अनुभवी मुहम्मद नबी अपने प्रदर्शन से सुर्खियां बटोर सकते हैं।

बांग्लादेश से बढ़ी उम्मीदें-  बांग्लादेश के क्रिकेट प्रेमी अपनी टीम से कम से कम सेमीफाइनल तक पहुंचने की उम्मीद कर सकते हैं। मशरफे मुर्तजा एक अच्छे कप्तान हैं जिनके पास विश्व स्तरीय ऑलराउंडर शाकिब अल हसन के अलावा तमीम इकबाल, महमूदुल्ला रियाद और मुशफिकुर रहीम जैसे काबिल खिलाड़ी हैं। 

कमजोर श्रीलंका-   विश्व कप में खेल रही सभी 10 टीमों में से श्रीलंका ही एक ऐसी टीम है जिसकी गहराई के बारे में कोई बात नहीं कर रहा है। इस टीम के पास लसित मलिंगा के रूप में इकलौता अनुभवी चेहरा है। दिमुथ करुणारत्ने के कंधों पर बड़ा दारोमदार है जिसे अर्जुन रणतुंगा और महेला जयवर्धने देख रहे होंगे।

भारत-  भारतीय टीम के पास धौनी जैसा पूर्व कप्तान है जो टीम के लिए फायदे का सौदा है। कोहली के रूप में विश्व का सबसे बेहतरीन बल्लेबाज, जिन्होंने 59.57 की औसत और 92.96 के स्ट्राइक रेट से 10843 रन बनाए हैं।  विश्व कप से पहले केएल राहुल की फॉर्म में वापसी से नंबर चार की उलझन दूर हुई। टीम को संतुलन देने के लिए तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में हार्दिक पांड्या की उपलब्धता। बल्लेबाजी ऑलराउंडर के रूप में केदार जाधव और स्पिन ऑलराउंडर के रूप में रवींद्र जडेजा के विकल्प मौजूद। कुलदीप-चहल की स्पिन जोड़ी के साथ यॉर्कर विशेषज्ञ बुमराह टीम में हैं। बुमराह डेथ ओवरों में वह रन रोकने और विकेट लेने में अहम भूमिका निभाते हैं। भुवनेश्वर और शमी के रूप में स्विंग गेंदबाज भी मौजूद हैं।

कमजोरी-  इंग्लैंड में बादल और तेज हवा होने की वजह से गेंद स्विंग होगी, जिससे धवन को परेशानी हो सकती है। धवन के असफल होने पर राहुल को ओपनिंग पर भेजा जा सकता है। ऐसे में एक बार फिर नंबर चार के स्थान की परेशानी खड़ी हो जाएगी। भारतीय टीम के सात खिलाडि़यों का यह पहला विश्व कप है। उन पर विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में खेलने का दबाव हावी हो सकता है। जाधव चोट से उबर रहे हैं। यदि वह पूरी तरह फिट नहीं हो पाते हैं तो भारतीय टीम की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कोहली के लिए अंतिम एकादश का चयन करना हमेशा मुश्किल चुनौती रहा है। इंग्लैंड में उन्हें इस परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

2. इंग्लैंड-

मजबूती-  रैंकिंग में नंबर एक टीम होने और घरेलू मैदान पर खेलने का मनोवैज्ञानिक फायदा मिलेगा। टीम ने इस साल 11 वनडे खेले हैं जिसमें सिर्फ दो में हार मिली। इस दौरान सात मैच जीते और दो के परिणाम नहीं निकले। इंग्लैंड ने अपनी पिछली 10 वनडे सीरीज में से आठ जीती हैं और एक ड्रॉ रही है। उसे एकमात्र हार स्कॉटलैंड के खिलाफ एक मैच की सीरीज में मिली। इन आठ जीती सीरीज में उसे चार अपनी सरजमीं पर मिलीं। इंग्लैंड की टीम में बेन स्टोक्स, मोइन अली, जोफ्रा आर्चर, टॉम कुर्रन और क्रिस वोक्स जैसे बेहतरीन ऑलराउंडर हैं, जो एक्स फैक्टर साबित हो सकते हैं। विस्फोटक बल्लेबाजों जोस बटलर और जॉनी बेयरस्टो का शानदार फॉर्म में होना। बटलर विकेट के पीछे भी अहम साबित होंगे जबकि बल्लेबाज के तौर पर खेल रहे दूसरे विकेटकीपर बेयरस्टो ओपनिंग करेंगे।

कमजोरी-  चार बार विश्व कप इंग्लैंड में खेला जा चुका है लेकिन उसे खिताब नसीब नहीं हुआ। यह मनोवैज्ञानिक दबाव टीम पर हावी हो सकता है। कप्तान इयोन मोर्गन और तेज गेंदबाज मार्क वुड विश्व कप से ठीक पहले चोटिल हो गए थे। दोनों फिट घोषित किए जा चुके हैं, लेकिन उनकी सही फिटनेस का पता मैच खेलने पर ही चल सकेगा। जो रूट जैसे दिग्गज बल्लेबाज सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में नहीं हैं। वह नंबर तीन पर खेलते हैं और इस साल उनका रिकॉर्ड साधारण रहा है। इंग्लिश टीम का तेज गेंदबाजी आक्रमण अपेक्षाकृत कम अनुभवी है। मुख्य तेज गेंदबाजों में सिर्फ लियाम प्लंकेट अकेले ऐसे गेंदबाज हैं जिन्होंने 50 से ज्यादा वनडे मैच खेले हैं। इंग्लैंड की शुरुआती टीम में एलेक्स हेल्स, जो डेनली और डेविड विली को शामिल किया गया था। हेल्स ड्रग्स मामले में फंसकर टीम से जगह गंवा बैठे, जबकि डेलनी और विली को टीम से बाहर कर दिया गया।

3. दक्षिण अफ्रीका-

मजबूती-  टीम के पास सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजी आक्रमण है, जिसमें डेल स्टेन, कैगिसो रबादा और लुंगी नगिदी शामिल हैं। इमरान ताहिर के रूप में बेहतरीन लेग स्पिनर। ताहिर ने आइपीएल में सबसे ज्यादा 26 विकेट झटके थे। जेपी डुमिनी, क्रिस मॉरिस, एंदिले फेलुकवायो और ड्वेन प्रिस्टोरियस के रूप में चार ऑलराउंडर की मौजूदगी। भारत के अलावा दक्षिण अफ्रीका अकेली ऐसी टीम है जिसके छह खिलाडि़यों ने 100 से ज्यादा वनडे खेले हैं। टीम के पास दायें और बायें हाथ का अच्छा बल्लेबाजी संयोजन है।

कमजोरी-  यह टीम हर बार दावेदार होती है, लेकिन चोकर साबित होती है। उसके ऊपर इस दाग को मिटाने का दबाव रहेगा। विश्व कप से ठीक पहले डेल स्टेन का चोटिल होना। हालांकि वह तेजी से उबर रहे हैं और दूसरे या तीसरे मैच से पहले फिट हो जाएंगे। टीम में आठ खिलाड़ी ऐसे हैं जिनकी उम्र 30 साल या इससे ज्यादा है। इनमें चार तो 35 साल या ज्यादा की उम्र के हैं। ताहिर की उम्र तो 40 साल है। टीम अपने बल्लेबाजों से ज्यादा गेंदबाजों पर निर्भर है। लक्ष्य का पीछा करते समय मुश्किल हो सकती है। एबी डिविलियर्स के स्थान की भरपाई नहीं हो पाई है। 

4. ऑस्ट्रेलिया-

मजबूती-  विश्व कप का शानदार रिकॉर्ड मनोवैज्ञानिक फायदा पहुंचाएगा। स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर की वापसी से टीम मजबूत हुई है। वार्नर ने आइपीएल में शानदार प्रदर्शन किया तो स्मिथ ने अभ्यास मैच में हूटिंग के दौरान शतकीय पारी खेली।कप्तान आरोन फिंच और वार्नर के रूप में बेहतरीन सलामी जोड़ी। युवा और अनुभवी खिलाडि़यों का अच्छा मिश्रण। गेंदबाजी आक्रमण में मिशेल स्टार्क, नाथन कूल्टर नाइल, नाथन लियोन और एडम जांपा जैसे गेंदबाजों की मौजूदगी।

कमजोरी-  पिछला एक साल ऑस्ट्रेलिया के लिए मुश्किलों भरा रहा है। ऐसे में उसे विश्व कम में अपने को फिर से साबित करना आसान नहीं होगा। स्मिथ व वार्नर की वापसी से ऑस्ट्रेलियाई के पास विकल्प बढ़ गए हैं, ऐसे में कप्तान फिंच के लिए अंतिम एकादश का चयन करना आसान नहीं होगा। ऑस्ट्रेलिया के धुर विरोधी इंग्लैंड में वार्नर और स्मिथ की वजह से टीम को हूटिंग का सामना करना पड़ सकता है। कोच जस्टिन लेंगर को टीम का मनोबल बनाए रखने की चुनौती होगी। ऑस्ट्रेलियाई टीम का मनोबल कमजोर होने की वजह से अन्य टीमें उस पर हावी होने की कोशिश करेंगी। इंग्लैंड में विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया का खराब रिकॉर्ड है। यहां हुए चार विश्व कप में से ऑस्ट्रेलिया ने सिर्फ एक जीता है।

5-न्यूजीलैंड-

मजबूती-  न्यूजीलैंड को हल्के में लेना किसी भी टीम के लिए भारी पड़ सकता है। कमान केन विलियमसन के हाथों में है जो आगे बढ़कर नेतृत्व करते हैं और नंबर तीन पर उनका रिकॉर्ड प्रभावशाली है। मिशेल सेंटनर, कोलिन डि ग्रैंडहोम और जेम्स नीशाम जैसे ऑलराउंडर की मौजूदगी। टिम साउथी, ट्रेंट बोल्ट और लॉकी फग्र्यूसन जैसे तेज गेंदबाजों की उपलब्धता। विलियमसन के अलावा मार्टिन गुप्टिल, रॉस टेलर, कोलिन मुनरो और टॉम लाथम जैसे बल्लेबाजों की मौजूदगी।

कमजोरी-  टीम विश्व कप में हर बार दावेदार के तौर पर खेलती है, लेकिन वह कभी भी खिताब नहीं जीत सकी है। टीम में कई स्टार खिलाड़ी हैं, लेकिन उनमें एकजुटता नहीं है। इस साल बतौर बल्लेबाज विलियमसन का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा है और वह ज्यादातर जूझते नजर आए हैं। टीम ज्यादातर इस बात पर निर्भर करेगी कि उसके गेंदबाज बोल्ट और साउथी किस तरह का प्रदर्शन करते हैं। बल्लेबाजी क्रम आंकड़ों में मजबूत नजर आता है, लेकिन कई बार साधारण गेंदबाजों के सामने भी ढह जाता है।

6- वेस्टइंडीज-

मजबूती-  इस बार उसे कोई खिताब का दावेदार नहीं मान रहा, लेकिन सभी यह बात कह रहे हैं कि वह किसी को भी चौंका सकती है। टीम में क्रिस गेल, शाई होप, डेरेन ब्रावो जैसे बल्लेबाज इस टीम कोमजबूत बनाते हैं। जेसन होल्डर कप्तान हैं जिन्होंने कमजोर टीम का शानदार नेतृत्व किया और उसे चुनौतीपूर्ण टीम बनाया। बल्लेबाजी क्रम में बायें और दायें का अच्छा संयोजन है। ऑलराउंडर आंद्रे रसेल का शानदार बल्लेबाजी फॉर्म में होना, जो किसी भी गेंदबाजी आक्रमण की धज्जियां उड़ा सकते हैं।

कमजोरी-  ज्यादातर खिलाड़ी टी-20 प्रारूप में खतरनाक माने जाते हैं। वनडे में उन्हें 50 ओवर तक टिककर खेलना होगा। ऊपरी क्रम का क्रिस गेल पर निर्भर होना। यदि गेल नहीं चलते हैं तो बल्लेबाजी क्रम कमजोर नजर आता है। टीम में ऐसा कोई गेंदबाज नहीं है जिसका खौफ विपक्षी बल्लेबाजों में हो। टीम की खराब फॉर्म। उसे विश्व कप से पहले बांग्लादेश के खिलाफ भी हार का सामना करना पड़ा। कैरेबियाई टीम में गेल और ब्रावो ही ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके पास 100 से ज्यादा वनडे का अनुभव है।

7-पाकिस्तान-

मजबूती-  जिस दिन यह टीम लय में होती है तो बड़ी से बड़ी टीम को धूल चटा देती है। पाकिस्तान की टीम ने दो साल पहले इंग्लैंड में ही आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीती थी, जिससे उसका मनोबल बढ़ेगा। बल्लेबाजी में बाबर आजम, फखर जमां और इमाम उल हक पाकिस्तान की ताकत हैं। वहाब रियाज, मुहम्मद आमिर और हसन अली जैसे बेहतरीन गेंदबाज अगर चले तो सामने वाली टीम को मुसीबत होगी। शोएब मलिक, मुहम्मद हाफिज, इमाद वसीम और शादाब खान ऑलराउंडर के तौर पर महत्वपूर्ण साबित होंगे।

कमजोरी- पाकिस्तान किसी भी टीम से जीत सकती है और कोई भी टीम उसे आसानी से हरा देती है। टीम ने इस साल 15 वनडे खेले हैं जिनमें से सिर्फ दो जीते हैं, जबकि 12 हारे और एक का नतीजा नहीं निकला। कप्तान सरफराज अहमद, शोएब मलिक और मुहम्मद हाफिज को छोड़कर किसी ने भी 100 वनडे नहीं खेले हैं। टीम में अंदरूनी गुटबाजी सबसे ज्यादा होती है, जिसका असर प्रदर्शन पर पड़ता है। विश्व कप में पाकिस्तान का एक भी मैच खराब जाता है तो उसके लिए संभलना मुश्किल हो जाता है। एक हार से ही टीम बिखरने लगती है।

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