World Cancer Day 2020 मुसीबतों का पहाड़ या तो हौसलों को तोड़ देता है या फिर कोई इनसे लड़ने का साहस जुटा ले तो जीवन की हर चुनौती से लड़ने की ताकत दे देता है। बचपन में अपनी मां को कैंसर की जंग लड़ते देख उनकी और दूसरों की पीड़ा ने एक बच्चे को ऐसा हौसला दिया कि आज वह तमाम लोगों को जीवन की राह दिखा रहा है। यह शख्सियत है चिकित्सक व समाजसेवी डॉ. मानवेंद्र सिंह कुशवाह। डॉ. मानवेंद्र को भारतरत्न अटल राष्ट्रीय गौरवरत्न अलंकरण समिति ने वर्ष 2019 के लिए चिकित्सा व समाजसेवा के लिए राष्ट्रीय अटल अवॉर्ड देने का फैसला किया है।
डॉ. मानवेंद्र ने बताया कि उनकी मां कैंसर से जंग लड़ी रही थीं और तब उनकी उम्र काफी कम थी। छोटी उम्र में ही मां के साथ अस्पतालों में जाना पड़ता था। अपनी मां के साथ दूसरे कैंसर मरीजों की पीड़ा द्रवित कर जाया करती थी। उन्होंने बताया कि इसके बाद मैंने पीड़ितों की मदद के लिए चिकित्सा के क्षेत्र में जाने का निर्णय लिया। साल 2008 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से गोल्ड मैडल के साथ स्नातक की डिग्री ली।
इसके बाद दिल्ली के नामी हॉस्पिटल में काम करने का अवसर मिला। कॅरियर के लिए अच्छा अवसर था, लेकिन पीड़ितों की सेवा करने का ध्येय पूरा नहीं हो रहा था। इसके बाद नौकरी से इस्तीफा देकर ग्वालियर में अमर ज्योति चेरिटेबल ट्रस्ट के साथ जुड़ गए और दिव्यांगों विद्यार्थियों के साथ अन्य की मदद करना शुरू की। इसके बाद डॉ. मानवेंद्र स्पेशल ओलंपिक मध्यप्रदेश के चिकित्सा अधिकारी के रूप में मानसिक दिव्यांग खिलाड़ियों की मदद कर रहे हैं।
2012 में शुरू की संस्था
डॉ. मानवेंद्र ने बताया कि सेवा के अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए साल 2012 में आरोग्य हेल्थकेयर संस्थान की शुरुआत की। इसके तहत फिजियोथैरेपी व पुनर्वास केंद्रों की संचालन किया जा रहा है। संस्थान की 16 शाखाएं मध्यप्रदेश के साथ उत्तरप्रदेश में भी सेवाएं दे रही हैं।