आज देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिवस के मौके पर देशभर में विश्वकर्मा पूजा धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज के दिन मशीनों, औजारों, दुकानों, अस्त्र-शस्त्र आदि की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की विधि विधान से पूजा के बाद आरती की जाती है।
पूजा के पश्चात आरती से भगवान विश्वकर्मा अतिप्रसन्न होते हैं। आरती करने से कार्यस्थल की नकारात्मकता खत्म होती है, सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। भगवान विश्वकर्मा प्रसन्न होकर भक्तों को धन-धान्य और सुख समृद्धि देते हैं, उनकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
विश्वकर्मा पूजा आरती/Vishwakarma Puja Aarti
ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक श्रुति धर्मा॥ ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
आदि सृष्टि में विधि को श्रुति उपदेश दिया।
जीव मात्रा का जग में, ज्ञान विकास किया॥ ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥ ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दु:ख कीना॥ ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
जब रथकार दम्पति, तुम्हरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत हरी सगरी॥ ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप सजे॥ ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे॥ ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानंद स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ॐ जय श्री विश्वकर्मा…