ग़ैर-फ़िल्म पृष्ठभूमि से आनेवाली अभिनेत्रियों के लिए दो शब्द परेशानी का सबब साबित होते हैं. आपने सही पहचाना. एक है पेट्रियाकी जिसे हिंदी में पितृसत्तात्मक व्यवहार कहते हैं तो दूसरा प्रचलित शब्द है नेपोटिज़्म जिसे हिंदी में भाई-भतीजावाद कहते हैं.
मगर सवाल है कि अपनी डेब्यू फ़िल्म पटाखा में जानदार अभिनय से खूब वाहवाही बटोरनेवाली राधिका मदान ‘मर्द को दर्द नहीं होता है’ जैसी टाइटल वाली फ़िल्म में आखिर क्या कर रही हैं?
इतना ही नहीं, ये फ़िल्म हीरो मटीरियल स्टार किड अभिमन्यु दासानी की ऐसी डेब्यू फ़िल्म है जिसमें वो एक ज्वाला की तरह फटने के लिए तैयार हैं.
ऐसे में अगर आप बेहद गंभीरता से ये सोच रहे हैं कि ये ‘लड़की’ इस ‘मर्द’ की कहानी में क्या कर रही है तो आप इस फ़िल्म का टीज़र देखकर ख़ुद ही तय कीजिए कि इसमें कौन अपने मर्दाना अंदाज़ में लड़ते हुए किसे दर्द का एहसास करा रहा है!
‘मर्द को दर्द नहीं होता है’ का निर्माण किया है आरएसवीपी मूवीज़ ने और इसका निर्देशन किया है वासन बाला ने. फ़िल्म 21 मार्च को देशभर में रिलीज़ होगी.
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