देश में वायु प्रदूषण से हर साल 16.7 लाख लोगों की मौत होती है और अर्थव्यवस्था को करीब 2.6 लाख करोड़ रुपये (जीडीपी का 1.4 फीसद) का नुकसान होता है। यानी वायु प्रदूषण जीवन और जेब दोनों पर भारी पड़ रहा है। वहीं, कुछ राज्यों पर इसका असर ज्यादा हो रहा है। जर्नल लांसेट में प्रकाशित हालिया शोध में यह दावा किया गया है। यह अध्ययन इंडियन स्टेट लेवल डिजीज बर्डन इनिसिएटिव की ओर से किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, जीडीपी को नुकसान राज्यों के हिसाब से बदलता रहता है, जैसे कम प्रति व्यक्ति जीडीपी वाले राज्य उत्तर प्रदेश (जीडीपी का 2.15 फीसद), बिहार (1.95 फीसद), राजस्थान (1.70 फीसद), मध्यप्रदेश (1.70 फीसद) और छत्तीसगढ़ (1.55 फीसद) में राज्य की जीडीपी को ज्यादा नुकसान हो रहा है। वहीं, ज्यादा प्रति व्यक्ति जीडीपी वाले राज्यों को कम नुकसान हुआ है, जैसे पंजाब को 1.52 फीसद और उत्तराखंड को 1.50 फीसद। राज्यों की जीडीपी को होने वाला यह नुकसान 0.67 से 2.15 फीसद के बीच है। वहीं, दिल्ली (62 डॉलर) और हरियाणा (53.8 डॉलर) में प्रति व्यक्ति आर्थिक नुकसान ज्यादा है।
पूरे देश की समस्या बना
जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ और इंटरनेशनल फोरम फॉर इन्वायरमेंट सस्टेनेबल एंड टेक्नोलॉजी के सीईओ चंद्र भूषण के मुताबिक, दिल्ली में काफी प्रदूषण होता है, खासकर सर्दियों में, लेकिन प्रदूषण पूरे देश की समस्या है। मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद में भी काफी प्रदूषण रहता है। वहीं, लखनऊ, आगरा, पटना और गंगा के मैदानी इलाकों के ज्यादातर शहर प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं। यहां तक कि गांव में भी यह समस्या है। इसलिए बात अब इन सारी जगहों की होनी चाहिए, न कि सिर्फ दिल्ली और शहरों की।
97 फीसद आबादी चपेट में
हर विकासशील देश की तरह भारत में प्रदूषण बढ़ने से कई तरह के खतरे बढ़ रहे हैं। 2017 में देश की 97 फीसद आबादी प्रदूषण (पीएम 2.5) की चपेट में थी।
घर के अंदर प्रदूषण कम हुआ है
घर के भीतर प्रदूषण कम हुआ है। रिपोर्ट कहती है कि 1990 से 2019 के बीच घर के भीतर प्रदूषण 64 प्रतिशत कम हुआ है, लेकिन घर के बाहर का प्रदूषण 115 फीसद बढ़ गया है।
समाधान क्या है
विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रदूषण कम करना है तो ईंधन सेक्टर में कोयले के प्लांट कम करने होंगे और अक्षय ऊर्जा स्रोतों (पवन और सौर ऊर्जा) को बढ़ावा देना होगा। वहीं, परिवहन में भी बदलाव करते हुए बैटरी चालित वाहनों को बढ़ावा देना होगा। इसी तरह, कृषि सेक्टर में जुताई की खेती को प्रोत्साहित करना होगा, जिससे पराली जलाने की जरूरत ही न पड़े।