कांग्रेस तथा कांग्रेसियों के लिए जीवनपर्यन्त संघर्ष करने वाले दिग्गज नेता 87 वर्षीय रामकृष्ण द्विवेदी ने शुक्रवार को राजधानी के मेदांता अस्पताल में दम तोड़ दिया। प्रदेश में बुजुर्ग कांग्रेसियों के साथ उपेक्षित व्यवहार होने पर आवाज उठाने के कारण उनको ही कांग्रेस से निकाल दिया गया था। इससे काफी व्यथित द्विवेदी का स्वास्थ्य खराब होने लगा था। उनकी कांग्रेस में हाल ही वापसी जरूर हो गई थी, लेकिन वह अपनी उपेक्षा से काफी परेशान थे।

उत्तर प्रदेश में पंडित कमलापति त्रिपाठी की सरकार में प्रदेश के गृह मंत्री रहे रामकृष्ण द्विवेदी काफी दिन से बीमार चल रहे थे। जीवन भर कांग्रेस के लिए समर्पित रहने वाले रामकृष्ण द्विवेदी को जीवन के संध्याकाल में जिस तरह से पार्टी से निलंबित कर अपमानित किया गया, वह उनके लिए प्राणघातक साबित हुआ। उनको बीमारी की इस हालत में मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने एनएसयूआई व यूथ कांग्रेस समेत कांग्रेस के अन्य संगठनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मूल रूप से गोरखपुर के विकास खंड जंगल कौडिय़ा के भंडारों गांव के निवासी पंडित रामकृष्ण द्विवेदी दो बार विधान परिषद सदस्य भी रहे हैं। इसके सात ही उनकी कांग्रेस में काफी लम्बे समय तक गहरी पैठ रही है।
कांग्रेस के कर्र्मठ तथा पार्टी के प्रति आजीवन निष्ठावान रहे पूर्व गृहमंत्री रामकृष्ण द्विवेदी ने 1971-72 में उत्तर प्रदेश के सातवें मुख्यमंत्री रहे त्रिभुवन सिंह (टीएन) सिंह को गोरखपुर के तत्कालीन मानीराम विधानसभा उप चुनाव में शिकस्त दी थी। पंडित रामकृष्ण द्विवेदी गोरखपुर के मानीराम से उपचुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री टीएन सिंह को मात दी थी।
रामकृष्ण द्विवेदी को हराने के लिए उनके खिलाफ कैंपेन चलाई गई थी। उस कैंपेन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, कर्पूरी ठाकुर, मोरारजी देसाई जैसे कई बड़े दिग्गज नेता थे। इसके बाद भी रामकृष्ण द्विवेदी नें मुख्यमंत्री टीएन सिंह को उपचुनाव में पराजित किया था। इसके बाद वह काफी चर्चा में रहे। जनता तथा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के लिए जमीन से जुड़े नेता के रूप में विख्यात पंडित रामकृष्ण द्विवेदी प्रदेश की पंडित कमलापति त्रिपाठी की सरकार में गृह मंत्री बने थे। वह पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के भी बेहद करीब थे।
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