यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटर परीक्षा 2020 की शुचिता का सारा दारोमदार परीक्षा केंद्र निर्धारण पर ही है। जिस तरह से माध्यमिक कॉलेज आधारभूत सूचनाएं देने में आनाकानी कर रहे हैं, उससे चुनौती बढ़ गई है।
परीक्षार्थियों की संख्या कम होने से केंद्रों की तादाद आठ हजार के इर्द-गिर्द होने की ही उम्मीद है, साथ ही परीक्षा नीति में भी बड़े उलटफेर की उम्मीद नहीं है। शासन की ओर से परीक्षा नीति अक्टूबर माह में जारी होने के संकेत हैं।
यूपी बोर्ड की परीक्षा अगले साल फरवरी में प्रस्तावित है। इसका विस्तृत कार्यक्रम जारी हो चुका है और अब परीक्षा तैयारियां चल रही हैं। उत्तर प्रदेश में 2017 की अपेक्षा 2018 में परीक्षा केंद्रों की संख्या तेजी से कम हुई थी। वजह बोर्ड मुख्यालय पर कंप्यूटर के जरिए केंद्र बनाए गए, उसमें कॉलेजों की क्षमता का भरपूर उपयोग होने से 8549 केंद्र बने थे।
2019 में भी परीक्षार्थी और परीक्षा केंद्र दोनों कम हुए, केंद्र केवल 8354 ही बने थे। इस वर्ष फिर करीब दो लाख परीक्षार्थी पिछली बार की अपेक्षा कम हुए हैं, ऐसे में केंद्रों की तादाद आठ हजार के करीब रहने की उम्मीद है। बोर्ड इन दिनों 2020 के लिए परीक्षा नीति तैयार कर रहा है। इसमें तमाम वह बिंदु शामिल किए गए हैं, जो आमतौर पर पिछली दो परीक्षाओं में रखे गए थे। अफसरों की मानें तो परीक्षा नीति में छिटपुट बदलाव ही हो सकता है।
पिछले वर्ष गाजीपुर जिले में मनमाने तरीके से केंद्र निर्धारण करा दिया गया, इससे खफा शासन ने जिला विद्यालय निरीक्षक पर कार्रवाई की। इस बार सभी जिलों को इस संबंध में विशेष हिदायत दी गई है, निर्देश है कि डीआइओएस कॉलेजों की आधारभूत सूचनाओं का सही से परीक्षण करके रिपोर्ट भेजें, अन्यथा असहज स्थिति में उन पर कार्रवाई होना तय है। केंद्रों का कई स्तर पर परीक्षण भी करने की तैयारी है।
वेब कॉस्टिंग डीआइओएस पर निर्भर
परीक्षा केंद्रों की निगरानी के लिए इस बार वेब कॉस्टिंग हो रही है। हर जिले में एनआइसी के अलावा एक केंद्र बनेगा, जहां से केंद्रों की गतिविधि पर नजर रखी जाएगी। कंप्यूटर पर यह निगरानी एक साथ अधिकतम 16 केंद्रों या फिर कक्षों की हो सकती है, ऐसे में जागरूक डीआइओएस ही इसका सुविधा का परीक्षा का लाभ ले सकते हैं।