यूपी का यह एक्सप्रेसवे कश्मीर से कन्याकुमारी तक की राहें खोलेगा। छह लेन के हाईस्पीड कॉरिडोर से आगरा से ग्वालियर किला तक का सफर महज एक घंटे में तय होगा।
उत्तर प्रदेश के आगरा से ग्वालियर किला तक जिस छह लेन के हाईस्पीड कॉरिडोर से एक घंटे में सफर तय होगा। उस एक्सप्रेसवे की राहें कश्मीर से कन्याकुमारी तक खुलेंगी। इस केंद्र की महत्वाकांक्षी उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर का हिस्सा माना जा रहा है। इसमें 13 राज्यों से गुजरने वाले सात हाईवे और एक्सप्रेसवे को लिंक किया जाएगा।
एक तरफ उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के पर्यटन को आगरा ग्वालियर एक्सप्रेस से प्रोत्साहन मिलेगा। दूसरी तरफ अन्य राज्यों तक पहुंचने के लिए सफर सुगम होगा। 88 किमी लंबे इस एक्सप्रेसवे का निर्माण बीओटी (बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर) मॉडल पर होगा। 2027 तक इस एक्सप्रेसवे का निर्माण पूर्ण होना है। 4613 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस एक्सप्रेसवे के लिए 502.11 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जाएगी।
2022 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ग्वालियर में एक कार्यक्रम के दौरान इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण की घोषणा की थी। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण 14 अगस्त को दिल्ली में इसका टेंडर निकालेगा। एनएचएआई ग्वालियर खंड कार्यदायी संस्था है। दो अगस्त को केंद्रीय कैबिनेट में एक्सप्रेसवे का प्रस्ताव मंजूर हुआ था।
बीओटी मॉडल
यह एक निजी सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) मॉडल है। इसमें निर्माणदायी संस्था बिल्ड, ऑपरेट व ट्रांसफर तीनों कार्य करती है। डिजाइन, वित्त पोषण, निर्माण, संचालन व रखरखाव का अधिकार भी निर्माणदायी संस्था के पास होता है। बिल्ड, ऑपरेट व ट्रांसफर के कारण इसे बीओटी मॉडल भी कहा जाता है। टोल के माध्यम से निर्माणदायी संस्था निर्माण पर खर्च की गई रकम वसूलती है।
स्वर्णिम चतुर्भुज का हिस्सा
उत्तर से दक्षिण व पूर्व से पश्चिम तक देश की सबसे बड़ी राजमार्ग परियोजना है। इसे स्वर्णिम चतुर्भुज कहा जाता है। उत्तर दक्षिण कॉरिडोर जम्मू कश्मीर में श्रीनगर को तमिलनाडु में कन्याकुमारी से जोड़ेगा। चार हजार किमी. लंबा यह कॉरिडोर श्रीनगर, जलंधर, दिल्ली, आगरा, ग्वालियर, झांसी, लखनादे, नागपुर, हैदराबाद, बेंगलुरू से कन्याकुमारी तक एनएच-44 से होकर गुजरेगा।
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