पश्चिमी यूपी में गर्मी लगातार बढ़ती जा रही है। मई का महीना पिछले 44 वर्ष में सबसे गर्म आंका गया है। वहीं मौसम वैज्ञानिक तापमान 45 तक जाने की संभावना जता रहे हैं।
पेड़ों बढ़ता कटान, प्रकृति से अंधाधुंध छेड़छाड़ और ग्लोबल वार्मिग का असर मौसम पर साफ दिख रहा है। इन हालात में हर साल मौसम का पैटर्न बदल रहा है। इसके चलते मई माह तप रहा है। अभी गर्मी से कोई राहत के आसार नहीं है। तापमान आने वाले दिनों में 45 डिग्री तक पहुंच सकता है। गर्मी का रौद्र रुप बढ़ता ही जा रहा है।
इस बार शुरुआत से ही मौसम के तेवर तल्ख दिखाई दे रहे हैं। मार्च से लेकर मई तक गर्मी का असर बढ़ता गया। मई आधा से ज्यादा बीत चुका है। 44 साल में मई सबसे गर्म चल रही है। दिन निकलते ही आसमान से आग बरस रही है। कूलर पंखें और एसी बेअसर हैं।
चौबीस घंटे में करीब चार डिग्री तापमान गिरा, लेकिन गर्मी का असर फिर भी कम नहीं हुआ। मौसम कार्यालय पर दिन का अधिकतम तापमान 38.5 डिग्री व रात का न्यूनतम तापमान 25.0 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।
मंगलवार को मेरठ का एक्यूआई 160 दर्ज किया गया। जबकि शहर में जयभमीनगर 201, गंगानगर 143, पल्लवपुरम 137, दिल्ली रोड 185, बेगमपुल 211 दर्ज किया गया।
कृषि पर भी पड़ेगा ग्लोबल वार्मिंग का असर
सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ यूपी शाही का कहना है कि तापमान में वृद्धि का नतीजा बदलते मौसम के रुप में प्रकट होना शुरु हो गया है।
ग्लोबल वार्मिग के कारण वाष्पीकरण की प्रक्रिया में तेजी शुरु होती है। इसके अलावा वाने वाले दिनों में ग्लोबल वार्मिग का असर कृषि पर भी पड़ने वाला है। तापमान के बढऩे से कई पौधों का पनपना मुश्किल हो जाता है।
धीरे-धीरे उनका अस्तित्व समाप्त हो जाता है। आगामी पांच दिन तक राहत के आसार नहीं हैं। मेरठ का तापमान 45 डिग्री तक पहुंच सकता है। दिन में लू का असर भी बना रहेगा।
गर्मी से लोग परेशान, अस्पतालों में मरीजों की भरमार
गर्मी, तेज धूप…उड़ती धूल। नतीजतन गर्मी से लोग बिलबिलाए हुए हैं। अस्पतालों में मरीजों की भरमार है। मेडिकल कॉलेज में मरीज को परिवारवाले ही स्ट्रेचर पर ले जाते नजर आए।
गर्मियों में ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है। मंगलवार को चार हजार से ज्यादा मरीज जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में पहुंचे। डायरिया, उल्टी, पेट दर्द, वायरल बुखार, डिहाइड्रेशन, पीलिया, वायरल बुखार एवं चक्कर आने के लक्षणों के साथ मरीज ज्यादा हैं। इनमें से काफी संख्या में मरीज भर्ती भी हो रहे हैं।
मेडिकल कॉलेज के प्रमुख अधीक्षक डॉ. धीरज बालियान ने बताया कि अस्पताल में नियमित ओपीडी हो रही, साथ ही जांच लैब, ब्लड बैंक, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे जांच की सुविधा होने से मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
दोपहर में घर से निकलने से बचें
वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. वीके बिंद्रा ने बताया कि गर्मी में दोपहर में घरों से बाहर निकलने से बचें। जरूरत पड़ने पर घरों से बाहर निकलें तो सिर पर कपड़ा या छाता लगाकर निकलें। थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहें। शुगर न हो तो ओआरएस का घोल भी पी सकते हैं।
वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. तनुराज सिरोही ने बताया कि खीरा, तरबूज और खरबूजा आदि रसेदार फलों का सेवन करें। ठेले पर कटे फल न खाएं। तली-भुनी चीजों से भी परहेज करें।
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