राजू पाल हत्याकांड में छह को आजीवन कारावास

25 जनवरी, 2005 को इलाहाबाद पश्चिमी से बसपा विधायक रहे राजू पाल की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 19 साल चले मुकदमें के बाद दोषियों को सजा मिली।

2005 में बसपा विधायक राजू पाल की प्रयागराज में हुई हत्या के मामले में लखनऊ की सीबीआई कोर्ट ने सात आरोपियों को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने छह आरोपियों आबिद, जावेद, रंजीतपाल, अब्दुल कवि, गुलहसन और फरहान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने प्रत्येक पर 1.90 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। सातवां दोषी इसरार अहमद मौजूद नहीं था, जिस कारण कोर्ट ने उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।

इस मामले में कुल 10 आरोपी थे। जिनमें अतीक अहमद और अशरफ अहमद की 15 अप्रैल 2023 को हत्या हो चुकी है, जबकि गुलफुल उर्फ रफीक अहमद की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। लिहाजा तीनों के खिलाफ मामले को कोर्ट ने समाप्त कर दिया था। कोर्ट ने फरहान को अवैध असलहा रखने के मामले में 4 साल की कैद और 25 हजार रुपये जुर्माने की अतिरिक्त सजा सुनाई गई है।

गौरतलब है कि 25 जनवरी, 2005 को इलाहाबाद पश्चिमी से बसपा विधायक रहे राजू पाल की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने इस हत्याकांड की रिपोर्ट धूमनगंज थाने में दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया गया था की तत्कालीन सपा सांसद अतीक अहमद ने अपने भाई अशरफ अहमद और साथियों से राजू पाल की हत्या करवाई है। इस गोलीबारी में देवी लाल यादव और संदीप यादव की भी मौत हो गई वहीं दो अन्य लोग भी घायल हो गये थे।

पूजा पाल ने बताया था कि आरोपियों ने पहले भी तीन बार राजू पाल पर जानलेवा हमला किया था। राजू पाल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव से अपनी सुरक्षा के लिए गुहार लगाई थी, लेकिन राजू पाल को पूरी सुरक्षा नहीं दी गई। वहीं इस हत्या के बाद पूजा पाल को भी रिपोर्ट दर्ज ना कराने के लिए धमकियां दी गई।

कब-कब क्या हुआ
– 6 अप्रैल 2005 को प्रयागराज पुलिस ने अतीक व अशरफ समेत कुल 11 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया था।
– 12 दिसंबर, 2008 को इस मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गई।
– 10 जनवरी से 25 दिसंबर 2009 के बीच सीबीसीआईडी ने तीन पूरक चार्जशीट में 15 लोगों को आरोपी बनाया।
– 22 जनवरी, 2016 को पूजा पाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंपी।
– 8 अप्रैल 2016 को सीबीआई ने जांच शुरू की और 10 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। इस दौरान एक आरोपी की मौत हो गई।
– 20 अक्तूबर 2022 को बचे हुए 9 आरोपियों पर आरोप तय करके कोर्ट ने गवाही शुरू की थी।

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