गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में हार की समीक्षा को लेकर लखनऊ में RSS कोर ग्रुप की बैठक जारी है. इस बैठक में दत्तात्रेय होसबोले, कृष्ण गोपाल, अनिल कुमार, आलोक कुमार, शिव प्रकाश और सुनील बंसल जैसे लोग शामिल हैं. बता दें, आलोक कुमार गुप्ता पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारक हैं, जबकि अनिल कुमार सिंह पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारक हैं. इस बैठक में उत्तर प्रदेश बीजेपी के संगठन महामंत्री सुनील बंसल भी मौजूद हैं. आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है. इस बैठक में हार की वजहों पर चर्चा होगी, क्योंकि बीजेपी अभी से 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट चुकी है.
2019 के चुनाव में बीजेपी 50 फीसदी वोट शेयर के लिए चुनाव लड़ेगी-शाह
लोकसभा उपचुनाव में मिली हार को लेकर पिछले दिनों अमित शाह ने कहा था कि ऐन वक्त पर बसपा और सपा ने गठबंधन कर लिया, जिसकी वजह से बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. उस वक्त उन्होंने कहा था कि इस हार पर हम गंभीरता से विचार करेंगे. अमित शाह ने 2019 चुनाव को लेकर कहा था कि आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी की लड़ाई उत्तर प्रदेश में 50 फीसदी वोट शेयर हासिल करने की है. उपचुनाव में हार के बाद RSS की यह बैठक तय मानी जा रही थी.
उपचुनाव स्थानीय मुद्दों को ध्यान में रख कर लड़े जाते हैं- शाह
एक निजी न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में शाह ने कहा, ‘हमने हार के कारणों की जांच के लिए कमेटी बनाई है और उसकी जो रिपोर्ट आएगी उस पर काम किया जाएगा. हमें यह ध्यान रखना होगा कि उपचुनाव स्थानीय मुद्दों को ध्यान में रख कर लड़े जाते हैं, हर स्थानीय चुनाव का अलग परिदृश्य होता है, लेकिन आम चुनाव में बड़े नेता और बड़े मुद्दे शामिल होते हैं. साल 2019 में भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन अधिक सीटें हासिल करेंगी.’
2014 के बाद से 9 सीटें गंवा चुकी है बीजेपी
गोरखपुर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और फूलपुर से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या पूर्व में सांसद थे. दोनों सीटों पर मिली हार के बाद लोकसभा में BJP सांसदों की संख्या घटकर 273 रह गई है. 2014 आम चुनावों में बीजेपी ने अपने दम पर 282 लोकसभा सीटें जीती थीं. चुनाव के बाद से बीजेपी अब तक 9 सीटें गंवा चुकी है. बहुमत का जादुई आंकड़ा 272 सीटों का है. बीजेपी उस आंकड़े से बस एक कदम आगे है. हालांकि, बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए के पास 300 से भी ज्यादा सीटें हैं. इस लिहाज से सरकार पर किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है.
6 सीटों पर हार
2014 के बाद से अब तक कुल 19 लोकसभा उपचुनाव हुए हैं. इनमें से बीजेपी का आठ सीटों पर कब्जा था. इस दौरान पार्टी केवल वड़ोदरा और शहडोल सीटों को बचाने में कामयाब रही, जबकि बाकी छह सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा. यानी इन चार वर्षों में गुरदासपुर (पंजाब), रतलाम (मध्य प्रदेश), अलवर एवं अजमेर (राजस्थान) सीटें बीजेपी के हाथ से निकलकर कांग्रेस के पास चली गईं. अब गोरखपुर और फूलपुर सीटें सपा के खाते में चली गईं. यानी कि इस दौरान हुए उपचुनावों में तीन चौथाई सीटें पार्टी के हाथ से निकल गईं.
5 सीटों पर होने हैं उपचुनाव
इसके अतिरिक्त पांच लोकसभा सीटें रिक्त होने के कारण उन पर अब उपचुनाव होने हैं, जिनमें से तीन सीटें बीजेपी के खाते में थीं. यानी कैराना (यूपी), भंडारा-गोंदिया और पालघर(महाराष्ट्र) सीटों पर बीजेपी का कब्जा था. अभी इन सीटों पर चुनाव की तारीखें घोषित नहीं हुई हैं. कैराना सीट बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन के कारण खाली हुई है. भंडारा-गोंदिया से बीजेपी सांसद नानाभाऊ पटोले ने पिछले साल बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया. लिहाजा उन्होंने बीजेपी और संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. पालघर से बीजेपी सांसद चिंतामणि वनागा के इसी जनवरी में निधन होने के कारण सीट खाली हुई है.