UP के 15 शहरों में प्रदूषण की रोकथाम पर लग सकती ये पाबंदियां, PCB ने तैयार किया एक्शन प्लान

शहर में शुद्ध हवा चाहिए तो तैयार रहिए कुछ पाबंदियों के लिए, जो आपके हिस्से में भी आएगी। हवा में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने प्रदेश के 15 अति प्रदूषित शहरों का एक्शन प्लान तैयार कर सभी विभागों को जिम्मेदारी सौंपी है। अब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) के आधार पर रोज कार्रवाई की जाएगी। इस योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आइआइटी कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग के विशेषज्ञों से सुझाव मांगा गया है। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी डॉ. एसबी फ्रैंकलिन ने बताया कि बोर्ड से एक्शन प्लान तैयार किया गया है। हालांकि पूरी जानकारी उनके पास नहीं आई है।

इन शहरों के लिए एक्शन प्लान : आगरा, वाराणसी, कानपुर, लखनऊ, मुरादाबाद, बरेली, प्रयागराज, अनपरा, खुर्जा, झांसी, फीरोजाबाद समेत 15 शहर शामिल किए गए हैं।

इन विभागों को जिम्मेदारी : जिला प्रशासन, नगर निगम, केडीए, एसपी ट्रैफिक, आरटीओ, आवास विकास परिषद, पीडब्ल्यूडी, एनएचएआइ, केस्को, फायर ब्रिगेड

पोर्टल पर अपडेट करनी होगी कार्रवाई : एक्शन प्लान के संबंध में जिला पर्यावरण समिति को बैठक करनी होगी। यूपीपीसीबी की ओर से तैयार किए गए पोर्टल पर कार्रवाई की रिपोर्ट अपडेट करने के लिए निर्देशित किया गया है।

शहरों में इस तरह से लगेगी पाबंदी

पीएम 2.5 की मात्रा 300 के पार जाने पर

– ट्रकों को शहर के अंदर आने से रोकना

– निर्माण कार्य बंद करा देना

– भवन निर्माण सामग्री की ढुलाई रोकना

– खोदाई बंद करना

– तारकोल को गर्म करने पर अंकुश

– सड़कों पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव।

– स्कूलों में छुट्टी भी कराई जा सकती है।

(पीएम 10 की मात्रा 500 माइक्रोग्राम होने पर यही नियम अपनाए जाएंगे। )

पीएम 2.5 का लेवल 250 के ऊपर

– ईंट भट्टे और अन्य तरह के प्लांट पर अंकुश

– पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा

– आधुनिक तरह से सड़क की सफाई

(पीएम 10 की मात्रा 430 माइक्रोग्राम होने पर यही नियम अपनाए जाएंगे। )

पीएम 2.5 की मात्रा 121 से 250 के बीच

– डीजल जेनरेटर के इस्तेमाल पर पाबंदी

– बसों की संख्या में इजाफा

– होटल व रेस्टोरेंट में कोयला व लकड़ी के इस्तेमाल पर रोक

– सुरक्षा कर्मियों को इलेक्ट्रिक हीटर मुहैया कराना।

(पीएम 10 की मात्रा 351 से 430 माइक्रोग्राम होने पर यही नियम अपनाए जाएंगे। )

पीएम 2.5 की मात्रा 91 से 120 होने पर

– कूड़े व कचरे के ढेर पर आग लगाने से रोकना

– सड़क और किनारों पर पानी का छिड़काव

– धुआं उगलते वाहनों के खिलाफ कार्रवाई

– ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त रखना।

– पटाखों के उपयोग पर रोक

– दस साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहन सीज

– कृषि अवशेषों में आग लगाने से रोकना

(पीएम 10 की मात्रा 251 से 350 माइक्रोग्राम होने पर यही नियम अपनाए जाएंगे।)

 

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