उत्तर प्रदेश के सीतापुर में एक युवक अपने खेत की कच्ची बोरवेल में गिर गया। बताया जा रहा है कि युवक करीब 42 फीट नीचे बोरवेल में दबा है। युवक को दबे हुए करीब 23 घंटे बीत चुके हैं। बीती सोमवार शाम से ही दो जेसीबी लगातार कच्ची मिटटी में दबे युवक तक पहुंचने के प्रयास में लगी हैं। लेकिन सफलता नहीं मिल पाई है। घटना की सूचना मिलते ही आसपास के करीब 15 गांवों से ग्रामीण मौके पर जुटे हैं। एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष) की टीम भी मौके पर है। अभी बचाव का काम चल रहा है। उधर, युवक के पिता और पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है।
बोरिंग के पाइप निकालते वक्त हादसा
मामला मछरेहटा थाना क्षेत्र के पट्टी गांव का है। यहां का निवासी अनुज (30) पुत्र श्यामलाल कच्ची बोरवेल में गिर गया। ग्रामीणों के मुताबिक, सोमवार दोपहर करीब तीन बजे श्यामलाल अपने बेटे अनुज और भतीजे के साथ खेत पर पहुंचे। यहां पुराना बोरवेल श्यामलाल का था। इससे करीब 30 मीटर की दूरी पर दूसरा बोरवेल बनाया गया। श्याम लाल और उसके बेटे का प्रयास यह था कि पुराने बोरवेल के पाइप निकालकर नए में प्रयोग किए जाएं। अनुज बोरवेल में बने गड्ढे में उतरा। इसी दौरान अचानक बलुई मिट्टी भरभरा कर गिर गई। घटना में अनुज दब गया। यह देख श्यामलाल भी अंदर उतर गए। वह बेटे को बाहर निकालने की कोशिश कर रहे थे। इसी दौरान मिट्टी और ढह गई और पिता-पुत्र दोनों दब गए। यह देख मौके पर मौजूद श्यामलाल का भतीजा गांव की तरफ भागा। मदद के लिए ग्रामीणों को बुलाकर लाया। ग्रामीणों के घंटो प्रयास के बाद श्यामलाल को बाहर निकाल लिया गया। लेकिन उनका बेटा अनुज अंदर ही दबा रहा। ग्रामीणों ने तहसील व पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को सूचना दी।
12 बजे नजदीक पहुंचे लेकिन फिर भरभरा कर गिरी मिट्टी
बीते दिन सोमवार शाम करीब पांच बजे से दो जेसीबी युद्धस्तर पर युवक को बाहर निकालने के काम में जुटी हुईं हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, रात करीब 12 बजे के करीब सफलता के आसार बन गए थे। बचाव कार्य में लगे लोगों से अनुज को करीब पांच फीट की दूरी तक निकाल भी लिया था, लेकिन तभी कच्ची मिट्टी फिर धंस गई और युवक फिर फंस गया।
हीलाहवाली से नाराज ग्रामीणों ने शुरू किया हंगामा, पोकलैंड न आने से दिक्कत
पट्टी गांव के बाहर बोरवेल में फंसे अनुज को निकालने के लिए अब पोकलैंड का इंतजार चल रहा है। घटना को हुए करीब 23 घंटे बीत चुके हैं। अब तक बोरवेल में गिरे अनुज को बाहर नहीं निकाला जा सका है। अधिकारी सुबह से ही पोकलैंड आने की बात कह रहे हैं, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। जेसीबी 30 फीट के इर्दगिर्द तक ही पहुंच पा रही है। इससे आक्रोशित ग्रामीण हंगामा कर रहे हैं। रोड जाम करने की तैयारी चल रही है।
पत्नी और पिता बदहवास, जुटे 15 गांव
23 घंटे से फंसे बेटे के बारे में सोचकर ही परिवारजन का बुराहाल है। ग्रामीणों के मुताबिक, पत्नी अंजनी और पिता श्यामलाल बार-बार बेहोश हो जा रहे हैं। पूरा गांव इस घटना से स्तब्ध है। आसपास के करीब 15 गांवों के हजारों ग्रामीण मौके पर जुटे हैं। अभी बचाव का काम चल रहा है।
क्या कहते हैं एसडीएम ?
एसडीएम राजीव पांडे के मुताबिक, बचाव कार्य चल रहा है। पोकलैंड मंगवाई गई है। एसडीआरएफ की टीम भी मौके पर है। जल्द ही हम बोरवेल से युवक को बाहर निकाल लेंगे।
क्या है एसडीआरएफ (SDRF) का काम ?
एसडीआरएफ एक रेस्क्यू टीम है, जिसमें ट्रेंड पुलिस, एक्स आर्मी और होमगार्ड के जवान शामिल होते हैं, जो बचाव कार्य के आधुनिक उपकरणों से लैस होते हैं। यह किसी भी प्राकृतिक आपदा के समय मौके पर पहुंचकर तत्काल राहत कार्य शुरू करते हैं। इममें मेडिकल टीम और अग्निशमन टीम भी शमिल होती है।