संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाने की भारत और अन्य जी-4 देशों की मांग की आलोचना करते हुए पाकिस्तान ने गुरुवार (29 मार्च) को कहा कि कुछ सदस्य देशों की ‘‘राष्ट्रीय आकांक्षाओं’’ को बढ़ावा देने वाले प्रस्ताव विश्व संगठन के शक्तिशाली मंच की प्रतिनिधित्व प्रकृति को बेहतर नहीं बना सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों के संबंध में अंतरसरकारी बातचीत के दौरान जी-4 राष्ट्रों…. भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान… का विरोध किया.
जी-4 समूह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई और अस्थाई सदस्यों की संख्या में विस्तार की मांग कर रहा है ताकि वैश्विक संगठन के शक्तिशाली मंच में प्रतिनिधित्व बढ़ सके. जी-4 के चारों देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक- दूसरे की स्थाई सदस्यता का समर्थन करते हैं.
मलीहा लोधी ने संयुक्त राष्ट्र में किया विरोध
जी-4 देशों के रुख की आलोचना करते हुए लोधी ने कहा कि पूरे क्षेत्र के प्रतिनिधित्व के लिए समेकित अफ्रीकी रुख के प्रति हमारे मन में कोई पूर्वाग्रह नहीं है, लेकिन हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि कैसे कुछ सदस्य राष्ट्रों की राष्ट्रीय आकांक्षाओं को बढ़ावा देने वाले प्रस्ताव सुरक्षा परिषद में प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देंगे, जबकि जिस क्षेत्र की बात हो रही है उसने न तो उन्हें ऐसा करने का विशेषाधिकार दिया है और न ही उन्हें ऐसा कोई अधिकार प्राप्त है. संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थाई मिशन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, जी-4 देशों ने सुरक्षा परिषद में कुल 10 (छह स्थाई और चार अस्थाई) सदस्य संख्या बढ़ाने के अपने प्रस्ताव में कोई लचीलापन नहीं दिखाया है.
इससे पहले भारत ने बीते 8 मार्च को आतंकवाद के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान पर निशाना साधा था. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने अफगानिस्तान में बढ़ते आतंकी हमले और आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराने पर तीखी आलोचना की और उन मुल्कों को कटघरे में खड़ा किया जो इन्हें अप्रत्यक्ष तौर पर मदद मुहैया कराते हैं. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने सुरक्षा परिषद में कहा, ‘वैश्विक समुदाय की कोशिशों के बावजूद जो आतंकियों को सहायता पहुंचा रहे हैं, उससे अफगानिस्तान में आतंकी गतिविधियों को रोकने में कामयाबी नहीं मिल पा रही है. वहां अब भी ऐसे तत्व मौजूद हैं जो कि अपने काले एजेंडे को पूरा करने के लिए तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, इस्लामिक स्टेट, अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद की मदद करते हैं और उन्हें पनाह देते हैं.’