पिछले एक दशक में यमुनोत्री धाम में श्रद्धालुओं की आमद कई गुना बढ़ी है, लेकिन इस अनुपात में यात्रा व्यवस्थाएं नहीं बढ़ पाई। हालांकि धाम के नाम पर विकास योजनाएं भी स्वीकृत हुई हैं, लेकिन कोई योजना अब तक धरातल पर नहीं उतर पाई है। आलम यह है कि डेढ़ दशक पहले स्वीकृत रोपवे परियोजना भी धरातल पर नहीं उतर पाई है।
यमुनोत्री धाम में इस बार 7.14 लाख श्रद्धालु पहुंचे, जबकि पिछले साल यहां 7.35 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे। हालांकि पिछले साल यात्रा काल 208 दिन की थी, जबकि इस साल यह मात्र 177 दिन की थी। पिछले एक दशक में यमुनोत्री धाम में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई हैं।
वर्ष 2011 में जहां यमुनोत्री धाम में 467502 श्रद्धालु पहुंचे थे। वहीं, वर्ष 2014 में 38221 और वर्ष 2016 में 160524 श्रद्धालु पहुंचे थे। जबकि गत वर्ष 2023 में यमुनोत्री धाम में 735245 और इस साल रविवार तक कुल 714755 श्रद्धालु ही पहुंचे।
यमुनोत्री धाम में पिछले एक दशक में श्रद्धालुओं की आमद में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन धाम में सरकारी सिस्टम की उपेक्षा के चलते जानकीचट्टी यमुनोत्री पैदल मार्ग आज भी बदहाल है। जबकि यहां सरकारी सिस्टम ने व्यवस्था सुधारने के नाम पर करोड़ों का बजट खर्च कर दिया है। बावजूद इसके यमुनोत्री धाम में व्यवस्थाएं नहीं सुधर पाई है।
गत जुलाई में आई आपदा से धाम में काफी नुकसान हुआ। सुरक्षात्मक कार्य के नाम पर लाखों की लागत से वायरक्रेट लगाए गए, जिनकी गुणवत्ता का आलम यह है कि कुछ दिनों में वायरक़्रेट कटाव की जद में आ गए थे। इधर, पुरोहित महासभा अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल, पूर्व पंच पंडा समिति के अध्यक्ष मनमोहन उनियाल, मंदिर समिति के पूर्व उपाध्यक्ष रहे सुभाष चन्द्र उनियाल ने कहा कि धाम में जगह पर्याप्त है, जरूरत है कि विकास कार्यों को गति दी जाए।
गत माह धाम में आई आपदा के बाद हुए आधे-अधूरे सुरक्षा इंतजाम कार्य अगले मानसून सीजन में खतरनाक साबित हो सकते हैं। उन्होंने शासन-प्रशासन से यमुनोत्री धाम का मास्टर प्लान तैयार कर मास्टर प्लान अनुरूप विकास किया जाएं।
दोनों धामों के विकास के लिए पहले ब्लू प्रिंट तैयार कर कार्ययोजना तैयार की गई, जब विस्तृत कार्य योजना तैयार करने को लेकर करीब 500 करोड़ की शासन से मांग की गई है। शासन भी धामों के विकास के लिए गंभीर है। -डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट, डीएम उत्तरकाशी।