वेलहम अरंगेतरम स्कूल की होनहार नृत्यांगनायें गौरी और वारिद्धि ने किया भरतनाट्यम नृत्य

अनीता तिवारी

यतोहस्तोस्ततोदृष्टिर्यतो, दृष्टितोमन:
यतोमानततोभव, यतोभववततो रस
तत्रद्वाभ्यासेबा, प्रधानमितिकाथ्यके

घुंघरूओं की झंकार तबले की थाप पर जब गौरी और वारिद्ध ने अपने नृत्य कौशल को आरंभ किया तब हाल में मौजूद लोग धीरे-धीरे कब आस्था अध्यात्म और भक्ति भाव लीन में कुछ पता ही नहीं चला… गूंजने लगी हाल में तालियां… तब जाकर लोगों ने अपने आप को थोड़ा सा सहज करके देवलोक की बजाय धरती पर पाया.. 12वीं की इन दोनों छात्राओं ने नृत्य की भाव भंगिमाओं से सम्मोहन का वह जादू बिखेरा जो केवल कई बरसों की साधना के बाद सीख पाते हैं.

देवभूमि की वो शाम जब देव नटराज को नमन कर घुंघरुओं की झंकार , ढोल की थाप और वायलन की मधुर तान पर दो होनहार नृत्यांगनाओं ने थिरकन की तो यूँ लगा जैसे देवलोक की अप्सराएं ज़मी पर उतर आई हों। कभी कृष्ण का नटखटपन तो कभी मैया यशोदा का दुलार कभी श्री राम की अठखेलियां तो कभी अहंकारी रावण की हुंकार जिस बेजोड़ अभिनय और भाव भंगिमाओं को दो होनहार नृत्यांगनाओं ने अपने कत्थक में जीवंत किया वो बेजोड़ था नायाब था। द्रोण नगरी देहरादून की पहचान और शिक्षा का सबसे सम्मानित संस्थान वेल्हम गर्ल्स स्कूल का मंच जब जब संगीत से गुंजा और गौरी और वारिद्धि ने बेहतरीन तालमेल के साथ कृष्ण और राम युग के कालखंड को सजीव किया तो एहसास हुआ जैसे स्वयं प्रभु देवभूमि में अपनी लीला दिखा रहे हैं।

नारी ही संगीत है जाके हैं दो रूप
एक रूप तो गीत है दूजा नृत्य स्वरुप Welham Aarangetram

अरंगेतरम की एक इंद्रधनुषी शाम को जब नृत्यांगना गौरी और वारिद्धि ने भारतीय संस्कृति और गुरु शिष्य परंपरा के साथ मंच पर जीवंत की तो भरतनाट्यम के इंद्रधनुषी रंग अपनी कला से कुछ ऐसे बिखरे मानो द्वापर और त्रेता को साक्षात सामने प्रकट कर दिया भगवान कृष्ण और राम की शिशु लीलाओं के साथ उनकी युवा अवस्थाओं के चित्रण जिस भाव भंगिमा से पेश किए उससे दोनों ही कलाकारों ने सबका मन मोह लिया और दर्शक दीर्घा में बैठे सभी लोग भाव विभोर हो गए और सहसा कह उठे यही तो है सत्यम शिवम सुंदरम और सनातन की ताकत

कार्यक्रम की शुरुआत शlम करीब 6:30 बजे प्रदोष बेला में शुरू हुई और कला और गुरु ज्ञान की यात्रा देर रात करीब 9:30 बजे संपन्न हुई लेकिन इस दौरान इन दोनों कलाकारों गौरी और वारिद्धि ने अपनी भाव भंगिमाहों मुद्राओं सुरताल के साथ समझ और सामंजस्य को जब करुणा और वात्सल रौद्र भावों के साथ मंच पर प्रस्तुत किया तो दर्शकों ने दांतों तले उंगलियां दबा ली और इस ढाई घंटे के दौरान दोनों की प्रस्तुति से वेलहम गर्ल्स स्कूल का हाल तालिया से कई बार गूंज उठा। गौरी और वारिद्धि की जुगलबंदी ने जहाँ समा बांधा वहीँ इनकी एकल प्रस्तुति भी शानदार रही। गणेश वंदना के साथ भगवान का आशीर्वाद लेते हुए इस शाम की शुरुआत हुई और दोनों ने करीब 70 मिनट तक एक साथ भगवान विष्णु के विराट रूप को मंच पर साक्षात प्रस्तुत कर दिया इसके बाद वारिद्धि ने सूरदास के पद मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो पर एकल नृत्य प्रस्तुति देते हुए मां यशोदा गोपी कृष्ण को अपनी कला से ऐसा मोतियों की माला की तरह पिरोकर दर्शकों के सामने पेश किया जैसे लोग स्वयं वृंदावन पहुंच गए हो और भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को स्वयं देख रहे हो

इससे पहले गौरी वारिद्धि ने महाभारत काल की याद करते हुए युधिष्ठिर और दुर्योधन के बीच हुई द्रुत क्रीडा और द्रोपदी चीर हरण को पेश किया और अंततः द्रोपदी की लाज जैसे ही श्री कृष्ण ने बचाई पूरा हाल तालिया की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इसके बाद गौरी ने एकल प्रस्तुति दी जिसमें इस युवा कलाकार ने मां कौशल्या के साथ भगवान राम की बाल लीलाओं को जीवंत करते हुए भगवान की युवावस्था और फिर वनवास में मां सीता द्वारा सोने के हिरन की मांग करना और रावण के द्वारा सीता हरण करने के प्रसंग को मनोहर तरीके से मुद्राओं भंगिमाहों चितवन और पैरों की थाप और घुंघरू की आवाज के साथ मृदंग वायलिन बांसुरी और मंजीरे की की धुन और विनोद कुमार विनोद कुमार कन्नूर केसुरताल एवं गुरु सी के राज लक्ष्मी की मेहनत को जब इंद्रधनुषी रंगों के साथ पेश किया तो ऐसा लगा जैसे पंचवटी में सीता हरण साक्षात सामने हो रहा हो जैसे ही यह दृश्य मंच पर प्रस्तुत हुआ सब लोग एक साथ कह उठे अति सुंदर अति सुंदर और तालिया की गड़गड़ाहट गूंज उठी

कार्यक्रम के अंत में दोनों ही कलाकारों ने विष्णु भगवान की सुंदर मंगल स्तुति को भरतनाट्यम नृत्य के माध्यम से पेश किया और भगवान विष्णु के विराट रूप को पेश किया और अंत में ईश्वर और गुरु को प्रणाम करते हुए अपनी इस कला की यात्रा को गुरु के चरणों में समाप्त किया इन दोनों युवा कलाकारों के बीच का सामंजस्य गुरु लक्ष्मी की मेहनत और दोनों के द्वारा 9 महीना तक लिया गया प्रशिक्षण अंत में आर गेतरम के प्रमाण पत्र के प्राप्त करने के साथ हुआ और पूरे हॉल ने इन दोनों कलाकारों के साथ गुरु लक्ष्मी को अपनी-अपनी जगह से खड़े होकर करीब 3 मिनट तक सराहा। दोनों कलाकारों की मेहनत और लगन से इन्होने यह साबित कर दिया कि भारतीय संस्कृति की जड़ें बहुत मजबूत हैं।

वेलहम गर्ल्स स्कूल की 12वीं कक्षा हैं गौरी और वारिद्धि

वेलहम गर्ल्स स्कूल की 12वीं कक्षा की इन छात्राओं ने यह प्रमाणित किया की कला हुनर और जुनून के साथ शिक्षा भी बेहतर तरीके से पूरी की जाती है लेकिन इसमें जरूर इस बात की है की माता-पिता और अध्यापक छात्र-छात्राओं का हौसला बढ़ाते रहे गौरी और वारिद्धि ने कार्यक्रम के अंत में अपनी गुरु राजलक्ष्मी और पूरे स्कूल के साथ-साथ अपने माता-पिता का धन्यवाद किया इस दौरान कुछ ऐसे क्षण सामने आए जब बेटियों का अपने माता-पिता से प्यार जग जाहिर हुआ और दर्शक दीर्घा में बैठे सभी लोगों की आंखें इन दोनों के वक्तव्य से नम हो गई और दोनों बच्चे भी भाव विभोर होकर होकर अपनी बातों को निश्चल तरीके से कहते-कहते अपने आभार को प्रकट कर रहे थे और उनकी आंखें सजल हो रही थी यही है वसुधैव कुटुंबकम गौरी और वारिद्धि ने अपने इस कार्यक्रम के माध्यम से दशरथ दीर्घा में बैठे तमाम अनजान लोगों से भी अपना एक भावनात्मक रिश्ता जोड़ लिया।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com