राज्यपाल कांग्रेस विधायकों से बिना मिले तय कार्यक्रम के अनुसार तीन दिन के लिए राज्य से बाहर गए। राज्यपाल के न मिलने पर पर कांग्रेस विधायक सचिव को ज्ञापन सौंपकर लौट गए। आचार संहिता के दौरान मुख्यमंत्री नायब सैनी ने 15 मई को मंत्रिपरिषद की बैठक बुलाई है।
अल्पमत में आई सैनी सरकार को बर्खास्त करने की मांग को लेकर कांग्रेस विधायक शुक्रवार को राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मिलने राजभवन पहुंचे। मगर विधायकों के पहुंचने से पहले ही राज्यपाल अपने तय कार्यक्रम के तहत राजभवन से निकल गए। राज्यपाल से मुलाकात न होने पर कांग्रेस के चीफ व्हिप बीबी बत्रा और सदन के उपनेता आफताब अहमद ने उनके सचिव को ज्ञापन सौंप अल्पमत की सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की।
ऐसा न होने पर विधानसभा सत्र बुलाने और सरकार को बहुमत साबित करने के निर्देश देने की मांग रखी। उधर, मुख्यमंत्री नायब सैनी सरकार ने 15 मई को मंत्रिमंडल की बैठक बुला ली है। लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच अचानक बैठक बुलाए जाने से कई कयास लगाए जा रहे हैं।
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नाम से लिखे ज्ञापन को सौंपने के बाद बत्रा और अहमद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं कि छह महीने पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता, जबकि संविधान में ऐसा कहीं नहीं लिखा है। राजनीतिक परिस्थितियां व विधायकों की संख्या में बदलाव होने पर यह किसी समय भी लाया जा सकता है।
इसलिए जरूरी है कि भाजपा सरकार विधानसभा में बहुमत साबित करे। उन्होंने कहा कि तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद भाजपा सरकार को नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए। उधर, निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने राज्यपाल को पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट की मांग की। उससे पहले इनेलो और जजपा भी राज्यपाल को पत्र लिखकर बहुमत साबित करने की मांग कर चुकी है।
मंत्रिपरिषद की बैठक में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने पर बन सकती है सहमति
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नायब सैनी ने 15 मई को मंत्रिमंडल की बैठक बुला ली है। सूत्रों के अनुसार बैठक में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने पर सहमति बन सकती है। विशेष सत्र में सरकार बहुमत साबित कर सकती है। कयास लगाए जा रहे हैं कि सैनी सरकार विधानसभा में बहुमत साबित कर जनता को यह संदेश दे कि विपक्ष तमाम दांवों के बावजूद वह मजबूत स्थिति में है। हालांकि इसकी पुष्टि बैठक का एजेंडा आने पर ही हो सकेगा। एजेंडा बैठक से एक दिन पहले आता है। दरअसल आचार संहिता के दौरान सरकार की ओर से मंत्रिमंडल की बैठक बुलाना चौंकाने वाला फैसला है। आचार संहिता की वजह से सरकार कोई नया फैसला नहीं ले सकती। ऐसी स्थिति में बैठक क्यों बुलाई गई। हालांकि सैनी सरकार इससे पहले भी आचार संहिता के दौरान 23 मार्च को भी मंत्रिमंडल की बैठक बुला चुकी है। तब बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी मीडिया में नहीं दी गई थी।
सैनी व मनोहर नड्डा से बोले- सरकार सुरक्षित
हरियाणा में सियासी संकट के बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शुक्रवार को पंचकूला पहुंचे और राज्य के वरिष्ठ नेताओं के साथ चल रहे सियासी घटनाक्रम को लेकर बैठक की। उन्होंने कई नेताओं के साथ वन टू वन बैठक भी की। सीएम नायब सिंह सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल से अलग से भी बातचीत की। इस दौरान दोनों ने नड्डा को भरोसा दिलाया कि राज्य की भाजपा सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है। भाजपा के पास पर्याप्त संख्या बल है। यदि जरूरत पड़ती है तो सरकार विश्वास मत भी हासिल कर लेगी।
राज्यपाल के रुख पर निर्भर रहेगा पूरा मामला
सूत्रों के अनुसार राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय तीन दिन राज्य से बाहर गए हैं। उनका कार्यक्रम पहले से निर्धारित था। ऐसे में तीन दिन के लिए यह घटनाक्रम थम गया है। लेकिन राज्यपाल के हरियाणा में आने के बाद कांग्रेसी नेता फिर से राज्यपाल से मिलने के लिए समय मांगेगे। अब पूरा मामला राज्यपाल के रुख पर निर्भर करेगा कि वह कांग्रेस नेताओं को मिलने का समय देते हैं या नहीं। क्योंकि ज्ञापन उनके सचिव के पास पहले ही आ चुका है।
सरकार बचाने के लिए भाजपा का गेम प्लान
गेम प्लान- 1 : वोटिंग से पहले इस्तीफा दे दें जजपा के तीन विधायक
भाजपा के पास अपने 40 विधायक हैं। इसके अलावा दो निर्दलीय और एक हलोपा विधायक को मिलाकर भाजपा के पास संख्या बल 43 है। वीरवार को जजपा के तीन बागी विधायकों ने पूर्व सीएम मनोहर लाल से मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि तीनों विधायकों का सरकार के पास समर्थन है। यदि तीनों विधायक इस्तीफा दे देते हैं तो विधानसभा में विधायकों की संख्या 85 हो जाएगी और बहुमत के लिए सरकार को 43 विधायक चाहिए होंगे, जो उसके पास है।
गेम प्लान- 2 : वोटिंग के दिन गैरहाजिर हो जाएं जजपा के तीन विधायक
बहुमत परीक्षण के दौरान जजपा के तीन विधायक अनुपस्थित हो जाएं तब भी भाजपा फ्लोर टेस्ट पास कर जाएगी। हालांकि ऐसी स्थिति में जजपा अपने तीनों विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग कर सकती है। हालांकि इस मामले में कार्रवाई विधानसभा अध्यक्ष को करनी होगी। अध्यक्ष भाजपा के हैं। मामला लंबा खिंचा तो फिर कोर्ट तक जाएगा। छह महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं और अदालत की कार्रवाई में समय लग सकता है। जजपा के बागी विधायक खुद भी इस पचड़े में नहीं फंसना चाहेंगे।
गेम प्लान- 3 : निर्दलीय विधायकों को मनाकर वापस ले आए भाजपा
भाजपा बागी निर्दलीय विधायकों को भी मनाकर वापस ला सकती है। वे सरकार के साथ साढ़े चार साल तक जुड़े रहे हैं। ऐसे में भाजपा के लिए यह ज्यादा मुश्किल नहीं होगा।
गेम प्लान- 4 : जजपा के सात बागी विधायक मिलकर पार्टी तोड़ दें
यह भी चर्चा है कि जजपा के 10 में से 7 बागी विधायक पहले एक तरफ होकर दो तिहाई बहुमत से पार्टी पर कब्जा कर लें और फिर भाजपा को समर्थन दे दें। ऐसी सूरत में उन पर दल-बदल कानून लागू नहीं होगा। अभी छह विधायक जजपा नेतृत्व से बागी हो चुके हैं। इनमें से चार भाजपा और दो कांग्रेस का सपोर्ट कर रहे हैं। एक और विधायक इनके संपर्क में है।
कांग्रेस हरियाणा में तीन माह के लिए सरकार का गठन नहीं करना चाहती। हम आगामी विधानसभा चुनाव में जनता का विश्वास हासिल करके ही सरकार बनाएंगे, क्योंकि भाजपा सरकार अल्पमत में आ चुकी है। सरकार के समर्थन में कम और विरोध में अधिक विधायक हैं। इसलिए हम राज्यपाल से मांग करते हैं कि सरकार को भंग करके प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए। -आफताब अहमद, कांग्रेस विधायक दल के उप नेता
हमने यह मामला हरियाणा के नेताओं पर ही छोड़ रखा है। यदि हमारे लोग राज्य में राष्ट्रपति शासन चाहते हैं तो वह ऐसा करें। हम यह बिल्कुल नहीं कह रहे कि वह बहुमत हासिल कर सरकार बनाएं। -मल्लिकार्जुन खरगे, अध्यक्ष कांग्रेस
हरियाणा सरकार ने बहुमत खो दिया है। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगना चाहिए। जैसा कि पता है कि भाजपा आपरेशन लोट्स चला सकती है। मगर यह तय है कि केंद्र और हरियाणा में भाजपा के गिने-चुने दिन रह गए हैं। -जयराम रमेश, नेता कांग्रेस