इस साल पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनावों से पहले ही तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में श्रीराम और देवी दुर्गा को लेकर जुबानी जंग छिड़ गई है। बंगाल में भजापा अध्यक्ष दिलीप घोष की ओर से दुर्गा देवी के दिए बयान के बाद टीएमसी लगातार हमलावर है।
इस बीच दस टीएमसी समर्थकों ने रविवार को हुगली में दिलीप घोष के बयान के विरोध में अपना सर मुंडवा लिया है। टीएमसी समर्थकों ने कहा कि देवी दुर्गा पर दिए गए बयान पर दिलीप घोष को माफी मांगनी चाहिए। टीएमसी समर्थकों ने कहा कि उन्होंने देवी दुर्गा का अपमान किया है।
हालांकि इस पर भाजपा का कहना है कि टीएमसी दिलीप घोष के बयान को गलत तरीके से पेश कर रही है। हुगली से भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी ने टीएमसी विधायकों की ओर से सिर मुंडवाने को चुनावी स्टंट बताया है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी को टीएमसी से सीखने की जरूरत नहीं है कि देवी दुर्गा की पूजा कैसे की जाती है।
यही नहीं लॉकेट चटर्जी ने आगे कहा कि वे यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि टीएमसी के लोग मां दुर्गा की पूजा करना जानते हैं लेकिन हमने देखा है कि कैसे इन लोगों ने मां दुर्गा के विसर्जन को रोका है। ये पूरा विवाद एक मीडिया कॉन्क्लेव में दिलीप घोष की टिप्पणी के बाद शुरू हुआ।
इस कॉन्क्लेव में भाजपा प्रदेश अधयक्ष दिलीप घोष ने ‘राम बनाम दुर्गा’ सत्र पर बहस करते हुए कहा था कि वे आश्चर्यचकित हैं कि कैसे टीएमसी ने भगवान राम के खिलाफ दुर्गा मां को खड़ा कर दिया है। इस पर टीएमसी काकोली घोष ने कहा कि कोई भी हिंदू धर्म का संरक्षक नहीं है और यह भाजपा है, जिसने जय श्री राम को चुनावी विषय बना दिया है।
इस पर दिलीप घोष ने कहा कि भगवान राजा थे और महात्मा गांधी ने भी राम राज्य की कल्पना की थी, लेकिन दुर्गा पता नहीं कहां से आ जाती हैं। दिलीप घोष के इसी बयान पर बवाल मच गया है। हालांकि बाद में दिलीप घोष ने कहा कि राम एक राजा थे, क्षत्रिय पुरुष थे, उनके पूर्वजों का नाम है, वो हमारे आदर्श हैं। मां दुर्गा राजनीतिक व्यक्ति हैं क्या ? मां दुर्गा के पूर्वजों का नाम मिलता है क्या ? दीदी उनको राजनीति में क्यो घसीटती हैं।