चीनी एप टिक टॉक को लेकर एक बात ये तो तय हो गई है कि ये अपने मौजूदा स्वरूप में दुनिया में नहीं रह सकता है। ये अब तभी काम कर पाएगा जब इसका स्वामित्व किसी दूसरी बड़ी कंपनी में चला जाएगा और वहां से इसे इस्तेमाल करने वालों के डेटा की सुरक्षा की पूरी गारंटी होगी। उधर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी टिक टॉक को बैन करने की घोषणा कर चुके हैं, ये उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में उनके कहे पर कार्रवाई हो जाएगी।
दूसरी ओर अमेरिका के ही विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भी कह चुके हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जो चीनी कंपनियां खतरा है उनको बैन कर दिया जाएगा, ऐसी कंपनियों को लेकर जल्द ही घोषणा हो जाएगी। डोनाल्ड ट्रंप एक बात और कह चुके हैं कि वो आने वाले दिनों में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े सॉफ्टवेयर की ओर से पैदा किए जा रहे राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिमों के संबंध में कार्रवाई करेंगे।
पोम्पियो ने टिक टॉक और वीचैट जैसे चीनी ऐप्स पर आरोप लगाया कि वे अमेरिकी नागरिकों का निजी डाटा चीनी सरकार को दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह उनका फेशियल रिकॉग्निशन पैटर्न हो सकता है, यह उनके घर का पता, फोन नंबर, उनके दोस्तों के बारे में जानकारी हो सकती है जिनके साथ वे जुड़े हुए हैं। ये सारे वे मुद्दे हैं जिन पर ट्रंप ने साफ किया है कि हम इन पर ध्यान देने जा रहे हैं। यह अमेरिकी लोगों के लिए असल में गोपनीयता से जुड़े मुद्दे हैं।
उन्होंने कहा कि अगर कोई कंपनी मौज मस्ती के साथ पैसे कमा रही है तो हम उन्हें इसकी इजाजत देंगे। एक और इंटरव्यू में अमेरिकी वित्त मंत्री स्टीवन म्नुचिन ने कहा है कि फिलहाल अमेरिका की विदेशी निवेश पर समिति टिक टॉक की समीक्षा कर रही है। यह समिति विदेशी व्यापार सौदों की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे की समीक्षा करती है। उन्होंने कहा कि पूरी समिति यह मानती है टिक टॉक मौजूदा स्वरूप में देश में नहीं रह सकता है क्योंकि ऐप से 10 करोड़ अमेरिकी लोगों की जानकारी बाहर जाने का खतरा है।
हम इस बात पर सहमत हैं कि बदलाव होना चाहिए, चाहे उन्हें बिक्री को मजबूर करें या ऐप को ब्लॉक करें। दुनिया के तमाम देश इस बात पर सहमत हैं कि टिक टॉक मौजूदा स्वरूप में देश में नहीं रह सकता। यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब बीते शुक्रवार को ही राष्ट्रपति ट्रंप ने संकेत दिए थे कि वे जल्द ही टिक टॉक को बैन करने के लिए आदेश जारी करेंगे।
टिक टॉक एक लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है जहां यूजर वीडियो पोस्ट करते हैं। यह अमेरिका में काफी मशहूर है। ट्रंप की धमकी के एक दिन बाद टिक टॉक ने अपना बचाव करते हुए कहा था कि वह अमेरिकी यूजर का डाटा अमेरिका में ही रखता है, उसके मुताबिक कर्मचारियों को डाटा तक सीमित पहुंच है।
कंपनी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि हम अपने यूजर्स की गोपनीयता और सुरक्षा की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं क्योंकि हम अपने प्लेटफॉर्म पर आने वाले लोगों की जिंदगी में खुशी लाने के लिए काम कर रहे हैं। टिक टॉक ने शनिवार को एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें उसने कहा कि हम कहीं नहीं जा रहे हैं। इस बीच टिक टॉक की पेरेंट कंपनी बाइटडांस ने अमेरिका में अपनी पूरी हिस्सेदारी माइक्रोसॉफ्ट को बेचने का प्रस्ताव पेश किया है।
ऐसा कर बाइटडांस व्हाइट हाउस के साथ संबंध बेहतर करने की कोशिश में है। माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला ने टिक टॉक के साथ बातचीत रुक जाने की खबरों के बीच सीधे राष्ट्रपति ट्रंप से बात की और इसकी पुष्टि की कि सौदे के लिए वार्ता जारी रहेगी। माइक्रोसॉफ्ट का लक्ष्य 15 सितंबर तक सौदा पूरा करने का है।