आरती कीजै श्री रघुवर जी की, सतचित आनंद शिव सुंदर की, दशरथ तनय कौशल्या नंदन, सुर, मुनि, रक्षक, दैत्य निकंदन, अनुगत भक्त-भक्त उर चंदन, मर्यादा पुरुषोत्तम वर की, आरती कीजे श्री… …. निर्गुण, सगुण, अनूप रूप निधि, सकल लोक वन्दित …
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